GST मंत्री समूह की बैठक आज, इस बड़े मुद्दे पर होगी चर्चा, अगर सहमति बनी तो बदल जाएगी पूरा खेल

पिछले महीने 9 सितंबर को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में कई अहम मुद्दों को विचार विमर्श के लिए मंत्री समूह को सौंपा गया है. आज होने वाली बैठक में अगर मंत्री समूह इन मुद्दों पर सहमत होता है, तो जीएसटी परिषद की अगली बैठक में इन बदलावों को मंजूरी दी जा सकती है.

जीएसटी कलेक्शन में भारी बढ़ोतरी. (सांकेतिक फोटो) Image Credit: jayk7/Moment/Getty Images

जीएसटी से जुड़े कई अहम मुद्दों पर आज बड़े फैसले हो सकते हैं. तय कार्यक्रम के मुताबिक बुधवार को जीएसटी मंत्री समूह की दिल्ली में बैठक होनी है. मंत्री समूह उन मुद्दों पर चर्चा करेगा, जिन्हें 9 सितंबर को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में उन्हें सौंपा गया था. इनमें सबसे अहम मुद्दा सैस कंपनसेशन का है. इसके अलावा में टैक्स स्लैब की रीस्ट्रक्चरिंग है. इसके अलावा रेट रैशनलाइजेशन, ई-कॉमर्स टैक्सेसन और कई वस्तुओं को टैक्स से छूट देने मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है.

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की अध्यक्षता में 10 सदस्यों वाला यह मंत्री समूह मोटे तौर पर कंपनसेशन सेस पर गहन विचार-विमर्श करेगा. पैनल का रुख जीएसटी के तहत सेस का भविष्य पर तय करेगा. इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार के बीच गहरा मतभेद है. 9 सितंबर को हुई 54वीं जीएसटी परिषद की बैठक में मतभेद के बाद तय किया गया कि इस मामले पर एक मंत्री समूह का गठन किया जाए, जो इस मामले पर विस्तृत चर्चा करे.

मंत्री समूह इस बात पर चर्चा करेगा कि राज्यों की मदद के लिए दिए जा रहे कर्ज पर लगने वाले कंपन्सेशन सेस को जारी रखा जाए या फिर इसे किसी टैक्स स्लैब में शामिल कर दिया जाए. इसके साथ ही इस मुद्द पर भी बात होगी कि कर्ज और ब्याज के भुगतान के बाद बचे अतिरिक्त सेस कलेक्शन का क्या किया जाए.

समूह में इन राज्यों के मंत्री शामिल

पैनल में शामिल सदस्यों में पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओम प्रकाश चौधरी, पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, गुजरात के वित्तमंत्री कनुभाई देसाई, कर्नाटक के राजस्व मंत्री कृष्णा गौड़ा, मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा, तमिलनाडु के वित्त मंत्री थंगम थेन्नासुरू और उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना शामिल हैं.

क्या चाहती है केंद्र सरकार

केंद्र सरकार चाहती है कि कोविड के दौरान राज्यों की मदद के लिए जो कर्ज लिया गया था उसके भुगतान के लिए जीएसटी कंपंसेशन सेस की वसूली आगे जारी रखी जाए. केंद्र के मुताबिक मार्च 2025 तक जुटाया गया कुल कंपनसेशन सेस 8.6 लाख करोड़ रुपये के आसपार रहेगा. अगस्त 2024 तक राज्यों को कंपनसेशन के तौर पर 6.64 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं. इसके अलावा कर्ज पर कर्ज के तौर पर 2.69 लाख रुपये का कर्ज दिया गया, जिसपर करीब 51 हजार करोड़ रुपये का ब्याज है. इस तरह केंद्र को फिलहाल 1.37 लाख करोड़ रुपये की वसूली और करनी है.