कैसे बनता है MNREGA कार्ड? 100 दिन रोजगार की मिलती है गारंटी; जानें वेतन से लेकर सारी डिटेल
भारत जैसे घनी आबादी वाले देश के सामने रोजगार एक बड़ा मुद्दा रहा है. इससे निपटने के लिए सरकार ने कई बड़े कदम भी उठाए. इसी में से एक है मनरेगा. मनरेगा सरकार द्वारा चलाए जाने वाली एक महत्वाकांक्षी योजना है. मनरेगा का पूरा नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम है.

MANREGA: भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश के सामने रोजगार एक बड़ा मुद्दा रहा है. इससे निपटने के लिए सरकार ने कई बड़े कदम भी उठाए. इसी में से एक है मनरेगा. मनरेगा केंद्र सरकार द्वारा चलाए जाने वाली एक महत्वाकांक्षी योजना है. मनरेगा का पूरा नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम है. इसके तहत हर साल 100 दिनों के रोजगार की गारंटी ग्रामीण परिवारों को दी जाती है. ऐसे में इसके तहत कैसे काम हासिल किया जा सकता है. उसके लिए जॉब कार्ड कैसे बनता है और काम के लिए कितने पैसे मिलते हैं. इन सबके बारे में आज हम आपको विस्तार से बताते है.
पहली बार मनरेगा साल 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी नरसिम्हा राव द्वारा प्रस्तावित किया गया था. इसके बाद साल 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) के रूप में भारत के चुने हुए 200 पिछड़े जिलों में यह लागू कर दिया गया. साल 2009 में इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कर दिया गया.
रोजगार का देता है अधिकार
यह एक अधिनियम है, जो व्यक्ति को कानूनी रूप से रोजगार का अधिकार देता है. रोजगार नही होने पर सरकार द्वारा मजदूरी का मुआवजा देना होता है. इस योजना में कम से कम 33 फीसदी रोजगार महिलाओं को देना अनिवार्य है. मजदूरी का सीधा भुगतान लाभार्थी के बैंक या डाकघर खाते में किया जाता है. इसमें पारदर्शिता रहे इसके लिए सोशल ऑडिट का भी प्रावधान है.

आर्थिक ढांचे को करता है मजबूत
मनरेगा ग्राम सभा और ग्राम पंचायत की भागीदारी से जरूरतों के अनुसार काम को चुनता और अमल करता है. मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और आजीविका के साधनों पर जोर देता है और सामाजिक-आर्थिक ढांचे को मजबूत करता है. मनरेगा को अन्य ग्रामीण विकास परियोजनाओं के साथ जोड़ा जाता है जैसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) और नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोग्राम (NRWDP) , ताकि संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल और विकास सही तरह से किया जा सके.
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ये लोग हैं एलिजिबल
आवेदक की आयु 18 से 60 साल के बीच होनी चाहिए. इसके साथ ही आवेदक ग्रामीण भारत का निवासी होना चाहिए. आवेदक को अपने क्षेत्र की ग्राम पंचायत में रजिस्टर्ड होना जरूरी है. आवेदक को ग्रामीण परिवार का अडल्ट मेंबर्स होना चाहिए. किसी रेगुलर या फुल टाइम पर नौकरी में कार्यरत नहीं होना चाहिए. आवेदक का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए. अगर आप इन सभी क्राइटेरिया को फॉलो करते है तो आप इसके लिए एलिजिबल है.

कैसे करें आवेदन
- अपनी ग्राम पंचायत कार्यालय जाएं. मनरेगा के लिए आवेदन ग्राम पंचायत कार्यालय में किया जाता है.
- ग्राम पंचायत कार्यालय से मनरेगा का आवेदन पत्र लें. यह फॉर्म आमतौर पर कार्यालय काउंटर या मनरेगा से जुड़े अधिकारी के पास उपलब्ध होता है.
- आवेदन पत्र में आपका नाम, पता, आयु, परिवार की जानकारी भरे. भरे हुए आवेदन पत्र के साथ आवश्यक दस्तावेजों की फोटोकॉपी अटैच करें.
- आपके पास पहचान पत्र (आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड आदि), निवास प्रमाण पत्र (राशन कार्ड, बिजली बिल आदि) होने चाहिए.
- आवेदन पत्र और दस्तावेज ग्राम पंचायत के मनरेगा अधिकारी को जमा करें.
कितनी मिलती है दिहारी
राज्य | मजदूरी दर (रुपये प्रति दिन) |
---|---|
आंध्र प्रदेश | ₹300.00 |
अरुणाचल प्रदेश | ₹234.00 |
असम | ₹249.00 |
बिहार | ₹245.00 |
छत्तीसगढ़ | ₹243.00 |
गोवा | ₹356.00 |
गुजरात | ₹280.00 |
हरियाणा | ₹374.00 |
हिमाचल प्रदेश | ₹236.00 |
हिमाचल प्रदेश | ₹295.00 |
जम्मू और कश्मीर | ₹259.00 |
लद्दाख | ₹259.00 |
झारखंड | ₹245.00 |
कर्नाटका | ₹349.00 |
केरल | ₹346.00 |
मध्य प्रदेश | ₹243.00 |
महाराष्ट्र | ₹297.00 |
मणिपुर | ₹272.00 |
मेघालय | ₹254.00 |
मिजोरम | ₹266.00 |
नागालैंड | ₹234.00 |
ओडिशा | ₹254.00 |
पंजाब | ₹322.00 |
राजस्थान | ₹266.00 |
सिक्किम | ₹249.00 |
तमिलनाडु | ₹319.00 |
तेलंगाना | ₹300.00 |
त्रिपुरा | ₹242.00 |
उत्तर प्रदेश | ₹237.00 |
उत्तराखंड | ₹237.00 |
पश्चिम बंगाल | ₹250.00 |
अंडमान और निकोबार | ₹329.00 |
दादरा और नगर हवेली & दमन और दीव | ₹324.00 |
लक्षद्वीप | ₹315.00 |
पुडुचेरी | ₹319.00 |
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