अंग्रेजों ने भारत को कैसे चूसा, जानें कितनी दौलत लूटी; 78 साल बाद खुलासा
Oxfam International Report: ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिये कारोबार के लिए आए अंग्रेजों ने भारत पर करीब दो सदी राज किया. जब अंग्रेज भारत आए, उस समय ग्लोबल ट्रेड में भारत की हिस्सेदारी 25 से 35 फीसदी के करीब थी. जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा, तो यह दो फीसदी से भी कम रह गई. भारत छोड़ने के करीब 8 दशक बाद यह जानकारी सामने आई है कि अंग्रेजों ने भारत से कितनी दौलत लूटी?
Oxfam International Report: ब्रिटेन ने भारत पर करीब 190 वर्ष तक शासन किया. इस शासनकाल में अंग्रेजों ने भारत से कितना धन लूटा और यहां से कितनी दौलत ब्रिटेन ले गए इसका सटीक आकलन शायद संभव नहीं. लेकिन, अंग्रेजों के भारत छोड़ने के करीब 8 दशक बाद अलग-अलग शोधकर्ताओं और अर्थशास्त्रियों ने इसका अनुमान लगाते हुए बताया है कि अंग्रेज भारत से करीब 65 लाख करोड़ डॉलर की दौलत भारत से लेकर गए.
इस दौलत को मौजूदा दौर के संदर्भ में समझें, तो यह रकम दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश अमेरिका की जीडीपी से दोगुनी से भी ज्यादा है. चीन की जीडीपी की तुलना में यह रकम तीन गुना से ज्यादा है. वहीं, भारत की जीडीपी से यह करीब 16 गुना ज्यादा है. अमेरिका की GDP करीब 30 लाख करोड़ डॉलर है. चीन की जीडीपी करीब 17 लाख करोड़ डॉलर है. वहीं, भारत की जीडीपी करीब 4 लाख करोड़ डॉलर है. इस तरह अंग्रेज भारत से करीब इतनी दौलत लूटकर ले गए हैं, जितनी आज की तारीख में 16 भारत जैसे, या तीन चीन जैसे या दो अमेरिका जैसे देशों की सालाना जीडीपी है.
रिपोर्ट में हुआ खुलासा
Oxfam International Report ने 20 जनवरी को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना बैठक के दौरान “टेकर्स नॉट मेकर्स: द अनजस्ट पावर्टी एंड अनअर्न्ड वेल्थ ऑफ कॉलोनियलिज्म” (Takers Not Makers: The unjust poverty and unearned wealth of colonialism) रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अंग्रेज भारत से दो सदी में करीब 65 लाख करोड़ डॉलर की दौलत ब्रिटेन ले गए. इसके साथ ही इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में दुनिया के अरबपतियों की दौलत में 2 लाख करोड़ डॉलर का इजाफा हुआ है. रिपोर्ट में इस बात पर चर्चा की गई है कि किस तरह से औपनिवेशिक काल में भारत से धन-दौलत निकाले जाने से आधुनिक आर्थिक असमानताओं की नींव पड़ी, जिसमें अनर्जित धन का प्रभुत्व, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में शोषण के साथ ही लैंगिक भेदभाव और श्रमिकों के भुगतान में अंतर का कारण है.
अंग्रेजों ने भारत से लूटे 65 लाख करोड़ डॉलर
मशहूर अर्थशास्त्री व जेएनयू की एमिरेट्स प्रोफेसर उत्सा पटनायक ने 2018 में अनुमान लगाया था कि अंग्रेजों ने भारत से करीब 45 लाख करोड़ डॉलर की पूंजी को चूसा. वहीं, ऑक्सफैम की रिपोर्ट के मुताबिक 1765 से 1900 के बीच औपनिवेशिक शासन के दौरान ब्रिटेन ने भारत से 64.82 लाख करोड़ डॉलर निकाले. इसमें से 33.8 लाख करोड़ डॉलर का फायदा ब्रिटेन के सबसे अमीर 10% लोगों को मिला. रिपोर्ट के मुताबिक इस धन ने ब्रिटेन में आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया, जबकि भारत को गरीबी में धकेल दिया. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि औपनिवेशिक प्रथाओं ने व्यवस्थित रूप से भारत के औद्योगिक आधार को नष्ट कर दिया, जिसकी वजह से भारत अर्थव्यवस्था पर लंबे समय फिर से उठने के लिए जूझती रही.
MNC अंगेजों से कम नहीं
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा दौर की बड़ी मल्टी नेशनल कंपनियां (MNC) अंग्रेजों और ईस्ट इंडिया कंपनी से कम नहीं हैं. पूरी दुनिया में आम लोग जहां रोजगार और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. दुनिया की शीर्ष अरबपतियों की पूंजी 2024 में 2023 की तुलना में तीन गुना तेजी से बढ़ी है.
जल्द सामने आएंगे खरबपति
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस तेजी से अरबपतियों की दौलत में इजाफा हो रहा है, बहुत जल्द दुनिया में 4-5 लोग खरबपति बन जाएंगे. जबकि, इस दौरान अर्थव्यवस्था, जलवायु और तमाम संघर्षों से जूझ रहे लोगों के जीवन में शयद ही बदलाव आए.
अरबपतियों के पास कहां से आई दौलत
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर अरबपतियों की दौलत अर्जित नहीं है. 60% को यह या तो विरासत, भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार या एकाधिकार से मिली है. मौजूदा दौर में MNC का एकाधिकार औपनिवेशिक वर्चस्व जैसा ही है, जिसका बड़े पैमाने पर सबसे अमीर लोगों को फायदा हुआ है. इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि सप्लाई चेन पर एकाधिकार और इसके जरिये किए जाने वाला शोषण औपनिवेशिक दौर में की गई लूट से कम नहीं है. ग्लोबल साउथ में ज्यादातर श्रमिक आज भी खराब हालात, कम भुगतान और शोषण के शिकार हैं.