इनकम टैक्स कानून में बदलाव की तैयारी, वित्त मंत्री ने उच्च अधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयकर अधिनियम 1961 की समीक्षा पर चर्चा हुई. इस समीक्षा से करदाताओं को नई सुविधाएं मिलने की उम्मीद जताई जा रही है....
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) ने आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा के लिए सोमवार, 4 नवंबर को एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में राजस्व विभाग के सचिव संजय मल्होत्रा, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अध्यक्ष रवि अग्रवाल और अन्य वरिष्ठ सीबीडीटी अधिकारी भी शामिल थे.
दरअसल, वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि आयकर अधिनियम की समीक्षा की जाएगी. उन्होंने कहा था कि इस अधिनियम को संक्षिप्त, सरल, पढ़ने और समझने में आसान बनाने का कोशिश की जाएगी. वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि ऐसा करने से टैक्स कॉन्फ्लिक्ट में कमी आएगी और करदाताओं को टैक्स संबंधी निश्चितता मिलेगी.
समीक्षा के लिए बनी 22 विशेष उप-समितियां
वित्त मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि राजस्व सचिव ने वित्त मंत्री को बताया कि आयकर अधिनियम के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा के लिए 22 विशेष उप-समितियां गठित की गई हैं. ये उप-समितियां डोमेन विशेषज्ञों के साथ नियमित रूप से आमने-सामने और वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए से बैठकें कर रही हैं. इन बैठकों का लक्ष्य है कि वह अधिनियम में सुधार के लिए सुझाव पेश करें.
सरकारी पोर्टल पर मिले 6,500 सुझाव
बैठक के दौरान, राजस्व सचिव ने वित्त मंत्री को इस बात से भी अवगत कराया कि 6 अक्टूबर, 2024 से पोर्टल खुलने के बाद 6,500 मूल्यवान सुझाव हासिल हुए हैं. ये सुझाव आम जनता की आयकर अधिनियम को और सरल बनाने के प्रति सक्रिय भागीदारी को दर्शाते हैं.
अक्टूबर में, सीबीडीटी ने एक आंतरिक समिति बनाई थी जो अधिनियम की भाषा को सरल बनाने, विवादों को कम करने और पुराने प्रावधानों को हटाने पर काम कर रही है. इसका उद्देश्य कर कानूनों को आम लोगों और व्यवसायों के लिए आसान बनाना है.
डायरेक्ट टैक्स कोड (DTC) से मिले सबक
इससे पहले 2009 में यूपीए सरकार ने डायरेक्ट टैक्स कोड (DTC) का प्रस्ताव दिया था, जिसे कई बार संशोधित किया गया लेकिन 2014 में इसे समाप्त कर दिया गया. अब यह नया प्रयास एक और मौका है कर कानून को सरल और स्पष्ट बनाने का.
सरकार पहले ही वित्त विधेयक 2024 के माध्यम से सुधारों को लागू कर चुकी है. इन सुधारों में पूंजीगत लाभ कर ढांचे में बदलाव शामिल है. नई व्यवस्था टैक्सपेयर को कम टैक्स दरों के साथ कुछ लाभ देती है, जिससे विभिन्न संपत्तियों पर कर में अंतर को कम किया जा सके.