अब टैक्सपेयर्स को नहीं भुगतना होगा ब्याज का बोझ, सरकार ने दिया माफी का मौका, जानें किन शर्तों पर मिलेगा फायदा
टैक्सपेयर्स के लिए राहतभरी खबर है. आयकर विभाग ने एक अहम घोषणा की है. सरकार के नए नियमों के तहत टैक्स अधिकारीयों को को निर्दिष्ट शर्तों के अधीन करदाता के देय ब्याज को माफ करने या कम करने की अनुमति दे दी है.
आयकर अधिनियम की धारा 220 (2A) के मुताबिक अगर कोई कोई करदाता किसी डिमांड नोटिस में निर्दिष्ट टैक्स राशि का समय पर भुगतान नहीं कर पाता है तो उसे देरी के लिए प्रतिमाह 1% की दर से ब्याज देना होगा. हालांकि, नए नियमों के मुताबिक टैक्स अधिकारियों को अब उस ब्याज को कम करने या माफ करने का अधिकार दिया गया है. लेकिन इसका लाभ लेने के लिए टैक्सपेयर को तीन विशेष शर्तों को पूरा करना होगा.
तीन महत्वपूर्ण शर्तें
ब्याज में छूट या कटौती पाने के लिए करदाता को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी:
- करदाता को टैक्स का भुगतान करने में वास्तविक कठिनाई हो रही हो.
- ब्याज का भुगतान न कर पाने की स्थिति करदाता के नियंत्रण से बाहर हो.
- करदाता ने आयकर जांच या बकाया वसूली में सहयोग किया हो.
किन अधिकारियों को कितना अधिकार?
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 4 नवंबर को एक सर्कुलर जारी कर ब्याज में छूट या कटौती का अधिकार अधिकारियों के पदानुसार सीमित कर दिया है.
- Principal Chief Commissioner (PrCCIT): 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की देय ब्याज राशि पर निर्णय लेने का अधिकार.
- Chief Commissioner (CCIT): 50 लाख रुपये से 1.5 करोड़ रुपये तक की ब्याज राशि पर निर्णय लेने का अधिकार.
- Principal Commissioner (PrCIT) या Commissioner: 50 लाख रुपये तक की ब्याज राशि पर निर्णय ले सकते हैं.
आयकर विभाग का यह निर्णय टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है. टैक्सपेयर्स को अब बढ़ते ब्याज की चिंता कम होगी.