सित्तवे पोर्ट की सुरक्षा में जुटा भारत, म्यांमार जुंटा और विद्रोहियों से साधा संपर्क

भारत ने म्यांमार के सित्तवे पोर्ट की सुरक्षा के लिए वहां की मिलिट्री गवर्नमेंट (जुंटा) और विद्रोही अराकान आर्मी (AA) से संपर्क किया है. यह पोर्ट कलादान मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर का हिस्सा है और पूर्वोत्तर भारत से कनेक्टिविटी बढ़ाने में अहम है. भारत ने सुरक्षा की गारंटी मांगी है ताकि व्यापार और विकास प्रभावित न हो.

Sittwe Port: म्यांमार के सित्तवे पोर्ट को सुरक्षित रखने के लिए भारत ने वहां की मिलिट्री गवर्नमेंट (जुंटा) और अराकान आर्मी (AA) के विद्रोहियों से संपर्क साधा है. भारत के लिए यह पोर्ट रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूर्वोत्तर राज्यों से भारत के पूर्वी तट को जोड़ने का एक वैकल्पिक रास्ता है. सित्तवे पोर्ट भारत-म्यांमार मैत्री परियोजना के अंतर्गत कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर का हिस्सा है. इसका उद्देश्य भारत के पूर्वी तट से पूर्वोत्तर राज्यों तक कनेक्टिविटी को आसान बनाना है.

क्या है सित्तवे पोर्ट का महत्व

मई 2023 में इसे आधिकारिक रूप से खोला गया और तब से इस पोर्ट ने 150 से ज्यादा जहाजों की आवाजाही को संभाला है. इन जहाजों के माध्यम से खाद्य सामग्री, कृषि उत्पाद, दवाएं, ईंधन, वाहन, निर्माण सामग्री, मशीनरी और उपकरणों का आदान-प्रदान हुआ है.

भारत का राजनयिक प्रयास

हाल ही में भारत के म्यांमार में राजदूत अभय ठाकुर ने सित्तवे पोर्ट का दौरा किया. उनके साथ इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड के एमडी सुनील मुकुंदन भी थे. उन्होंने रखाइन के मुख्यमंत्री यू हतिन लिन से मुलाकात की और विकास परियोजनाओं, क्षमता निर्माण और मानवीय सहायता पर चर्चा की. दोनों पक्षों ने माना कि पोर्ट से क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी बढ़ेगी, जिससे पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा.

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सुरक्षा को लेकर चिंता

म्यांमार के रखाइन (पहले अराकान) राज्य में सुरक्षा स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. अराकान आर्मी ने राज्य के 14 टाउनशिप पर नियंत्रण कर लिया है, जबकि सित्तवे टाउन अभी भी जुंटा के नियंत्रण में है. ऐसे में भारत दोनों पक्षों से पोर्ट की सुरक्षा की गारंटी मांग रहा है ताकि व्यापार और विकास प्रभावित न हो.