अगले महीने से चलेगी भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन! जानें स्टेशन रूट और स्पीड

Hydrogen Train: डीजल और बिजली से चलने वाली ट्रेन कहीं न कहीं पर्यावरण के लिए हानिकारक होती है लेकिन हाइड्रोजन ट्रेन केवल भाप और पानी ही छोड़ती है जो पर्यावरण के लिए खतरनाक नहीं है.

अगले महीने से चलेगी भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन, जानें स्टेशन रूट और स्पीड Image Credit: Zhang Yao/China News Service/VCG via Getty Images

बुलेट ट्रेन के उत्साह के बीच भारत की पहली Hydrogen Train हमारे सामने पेश होने वाली है. दिसंबर 2024 में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का ट्रायल होने जा रहा है. यह ट्रेन न तो डीजल और न ही बिजली पर चलेगी, बल्कि हाइड्रोजन का इस्तेमाल फ्यूल के रूप में किया जाएगा. 2030 तक भारत नेट जीरो कार्बन एमिटर बनने की ओर बढ़ रहा है इसी के चलते भारतीय रेलवे ने यह कदम उठया है. आइए जानते हैं इस ट्रेन के रूट, स्पीड, खास फीचर्स के बारे में, और ट्रेन का हाइड्रोजन से चलने का क्या मतलब है?

कैसे काम करेगी हाइड्रोजन ट्रेन?

हाइड्रोजन भारत की यह पहली ट्रेन होगी जो एनर्जी पैदा करने के लिए पानी का इस्तेमाल करेगी. डीजल या इलेक्ट्रिक इंजन की जगह, यह ट्रेन हाइड्रोजन से बिजली पैदा करेगी.

इसके पीछे का विज्ञान समझना है तो आपको स्कूल की कैमिस्ट्री की किताब याद दिलाते हैं. अगर आप कैमिस्ट्री के कमजोर छात्र रहे हैं तो भी आपको पानी का फॉर्मूला यानी H2O तो याद ही होगा जो हाइड्रोजन के दो एटम और ऑक्सीजन के एक एटम से मिलकर बनता है. इसी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के कैमिकल कॉम्बिनेशन से बिजली पैदा होती है, और इसका एकमात्र बाय प्रोडक्ट पानी और भाप है.

लेकिन हाइड्रोजन ही क्यों?

भारतीय रेलवे की हाइड्रोजन ट्रेन का मकसद कार्बन उत्सर्जन को कम करना और डीजल इंजनों से होने वाले वायु प्रदूषण को खत्म करना है. हाइड्रोजन का इस्तेमाल करके, यह ट्रेन कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, जैसे प्रदूषण का उत्सर्जन नहीं करती है. इसका मतलब है कि इस ट्रेन से कोई भी हानिकारक उत्सर्जन नहीं होगा, कुछ भी ऐसा नहीं निकलेगा जो पर्यावरण को प्रदूषित कर सके.

यही नहीं इसके अलावा, ये ट्रेनें डीजल इंजनों की तुलना में 60 प्रतिशत कम शोर पैदा करती हैं. भारतीय रेलवे 35 हाइड्रोजन ट्रेनों को देशभर में तैनात करने की योजना बना रहा है.

क्या होगा रूट और स्पीड

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हाइड्रोजन ट्रेन का पहली ट्रायल रन हरियाणा के जिंद-सोनीपत रूट पर होगा, जो करीब 90 किलोमीटर का सफर तय करेगी. इसके अलावा दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरि माउंटेन रेलवे, कालका-शिमला रेलवे जैसे हेरिटेज माउंटेन रेल रूट हो सकते हैं.

इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड 140 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जिससे यात्री तेज और आरामदायक यात्रा का आनंद ले सकेंगे. एक बार फ्यूल भरने पर ट्रेन 1,000 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकेगी.

इस ट्रेन को हर घंटे लगभग 40,000 लीटर पानी की जरूरत होगी, जिसके लिए खास वॉटर स्टोरेज फैसिलिटी बनाई जाएंगी.

हाइड्रोजन ट्रेन में कितना पैसा लगेगा?

हर हाइड्रोजन ट्रेन की लागत लगभग 80 करोड़ रुपये होगी.