भारत बना रहा है ग्रेट ग्रीन वॉल, 1400 KM लंबी, 27 जिलों से गुजरेगी दीवार, जानें फायदा
भारत पेड़ों का एक विशाल दीवार तैयार करने जा रहा है. यह दीवार गुजरात से शुरू से होकर दिल्ली तक जाएगी. यह अरावली की विशाल रिफॉरेस्टेशन योजना का हिस्सा है. इससे थार रेगिस्तान को आगे बढ़ने से रोका जा सके. इस योजना की नींव फरवरी में रखी जा चुकी है. ऐसे में आइए इसके बारे में विस्तार से जानते है.
Great Green Wall: भारत ने अपने सबसे महत्वाकांक्षी पर्यावरण परियोजना की शुरुआत कर दी है. यह परियोजना भारत को साफ हवा लेने में मदद करेगा. दरअसल, इस प्रोजेक्ट के तहत पेड़ों का एक विशाल दीवार तैयार की जाएगी. यह दीवार गुजरात से शुरू से होकर दिल्ली तक जाएगी. यह अरावली की विशाल रिफॉरेस्टेशन योजना का हिस्सा है. इससे थार रेगिस्तान को आगे बढ़ने से रोका जा सके. इस योजना की नींव फरवरी में रखी जा चुकी है. ऐसे में आइए इसके बारे में विस्तार से जानते है.
इतनी होगी दूरी
यह दीवार लगभग 1,400 किमी लंबी होगी. यह चार राज्यों से होकर गुजरेगी. यह महात्मा गांधी के जन्म स्थान पोरबंदर (गुजरात) और उनकी समाधि राजघाट (दिल्ली) के बीच बनेगी. यह हरी दीवार प्राकृतिक जंगलों, बागवानी, रि-कल्टीवेशन और पानी के निकायों का मिक्स होगी. यह राजस्थान और हरियाणा के रेगिस्तानी और सेमी-रेगिस्तानी इलाकों से होकर गुजरेगी.
इतनी आएगी लागत
यह 27 जिलों से होकर गुजरेगा. इसमें राजस्थान (18 जिले), गुजरात (3 जिले), हरियाणा (6 जिले) और दिल्ली शामिल है. इस ग्रीन वॉल को बनाने में 7,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसमें केंद्र का हिस्सा 78 फीसदी होगा. वहीं राज्य सरकारों का 20 फीसदी और सहायता एजेंसियों का 2 फीसदी होगा. परियोजना को पूरा करने का टारगेट साल 2027 है.
ये हैं कारण
इसका मकसद अरावली पहाड़ियों के साथ इस दीवार को बनाना है. दशकों से इनके खनन और शहरीकरण की वजह से ये बुरी तरह से नष्ट हो गई है. अरावली पहाड़ियां भारत के उत्तरी मैदानों और थार रेगिस्तान के बीच एक प्राकृतिक दीवार का काम करती हैं. लेकिन इन पहाड़ियों में हो रही खुदाई और शहरी विस्तार ने इन पहाड़ियों में बहुत सी दरारें पैदा कर दी है. इसके चलते दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश में धूल प्रदूषण बढ़ रहा है. यह बदलाव दिल्ली-एनसीआर और पूरे उत्तर-पश्चिम भारत के लिए गंभीर परिणाम लेकर आता है. इससे मौसम की अनिश्चितता और जलवायु परिवर्तन की स्थिति पैदा हो रही है.
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क्या है इस ग्रेट ग्रीन वॉल का मकसद
- यह कार्बन सिंक का काम करेगी और वायु प्रदूषण से लड़ने में मदद करेगी.
- थार रेगिस्तान के पूर्वी विस्तार को रोकने में मदद करेगी.
- धूल के तूफानों से बचाव के रूप में काम करेगी.
- अरावली की तरह पानी के लेवल को बढ़ावा देगी.
- इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करेगी.
- शहरीकरण और खनन से हुई दरारों को भरने का काम करेगी.
ग्रीन वॉल अफ्रीका से क्या है कनेक्शन
यह ग्रीन वॉल अफ्रीका के ‘ग्रेट ग्रीन वॉल’ से प्रेरित है. यह महाद्वीप के एक हिस्से में 8,000 किमी तक फैली हुई है. इसका मकसद सहारा रेगिस्तान को बढ़ने से रोकना था. हालांकि, यह अभी तक पूरा नहीं हो सका है. यह अभी तक केवल 25 फीसदी पूरा हो सका है.भारत में ग्रीन वॉल परियोजना का क्षेत्रफल 1.15 मिलियन हेक्टेयर होगा. कुल क्षेत्रफल लगभग 11,500 वर्ग किलोमीटर होगा. यह दिल्ली के आकार से लगभग नौ गुना अधिक है. इस ग्रीन वॉल परियोजना का हिस्सा यह है कि भारत 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर खराब जमीन को दोबारा तैयार करना है.