1 ट्रिलियल डॉलर की डिजिटल इकोनॉमी बनने की राह पर है भारत, 2028 तक और बेहतर हो सकती है टेक्नोलॉजी

भारत में डिजिटल सर्विस की बढ़ोतरी लगातार हो रही है. सरकार के तमाम पहल से लेकर डिजिटल स्पेस में जिस तरह से लोगों की मौजूदगी बढ़ रही है उससे फैलाव का अंदाजा लगाया जा सकता है. इसी को देखते हुए ये कहा जा रहा है कि 2028 तक डिजिटल इकोनॉमी का बाजार 1 ट्रिलियन तक का हो जाएगा.

तरक्की की राह पर भारतीय डिजिटल इकोनॉमी Image Credit: Cravetiger/Moment/Getty Images

भारत में डिजिटल इकोनॉमी का बाजार काफी तेजी से बढ़ रहा है. सरकार के तमाम पहल से लेकर डिजिटल स्पेस में जिस तरह से लोगों की मौजूदगी बढ़ रही है उससे इसके फैलाव का अंदाजा लगाया जा सकता है. इसी बीच रिसर्च फर्म आस्क कैपिटल की एक रिपोर्ट के मुताबिक डीप इंटरनेट और सस्ती 4जी और 5जी सर्विस और सरकार की पहलों को देखते हुए भारत की डिजिटल इकोनॉमी 2028 तक तकरीबन 83 लाख करोड़ रुपये की हो जाएगी.

डिजिटली भारत लगातार बेहतर होने की राह पर है. भारत की अपनी बनाई गई यूपीआई सर्विस का बोलबाला विदेश तक हो गया है. यूपीआई के इस्तेमाल से लोगों को पेमेंट करने में काफी सहूलियत मिली है. इसके बढ़ते प्रभाव का अंदाजा हाल में आए एनपीसीआई के एक रिपोर्ट से लगाया जा सकता है जिसके अनुसार भारत में केवल सितंबर महीने में 1.5 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए हैं. इससे इतर डिजिटलाइजेशन का फायदा भारत के अर्थव्यवस्था को भी काफी होगा. मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल ने लोगों को डिजिटल ग्राउंड पर और मजबूत किया है.

इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च आन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन (आईसीआरआईईआर) के अनुसार, जापान, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी जैसे देशों के सामने जिनकी स्थिति तकनीकी स्तर पर भारत से बेहतर है, वह भी भारत की तरह डिजिटल सर्विस मुहैया नहीं करा पा रहे हैं. इससे इतर सरकार के कई पहल ने डिजिटल समृद्धता को बेहतर करने की दिशा में काम किया है. प्रधान मंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) जैसी स्कीम्स ने वित्तीय इंक्लूजन को बढ़ाया है.

मार्च 2024 तक टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने अपने डाटा में बताया था कि भारत में 120 करोड़ टेलीकॉम सब्सक्राइबर हैं. वहीं इंटरनेट यूजर्स की बात करें तो  मार्च 2023 में इंटरनेट सब्सक्राइबर्स की संख्या 88.1 करोड़ थी लेकिन मार्च 2024 तक यह आंकड़ा 95.4 करोड़ हो गए हैं.