वर्ल्ड क्लास होगा Power Transmission ढांचा, 2032 तक 9 लाख करोड़ खर्च करेगी सरकार
देश के Power Transmission ढांचे को वर्ल्ड क्लास बनाने पर सरकार 2032 तक 9 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी. फिलहाल, देश के पास 119 गीगावाट की इंटर-रीजनल पावर ट्रांसमिशन की क्षमता है. सरकार का लक्ष्य इसे 2032 तक बढ़ाकर 168 गीगावाट तक पहुंचाने का है.
केंद्रीय मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने बुधवार को बताया कि सरकार देश के पावर ट्रांसमिशन ढांचे को वर्ल्ड क्लास बनाने और इसका विस्तार करने पर भारी खर्च करने जा रही है. उन्होंने बताया कि देश में इंटर-रीजनल पावर ट्रांशमिशन की क्षमता को बढ़ाने के लिए 2032 तक 9 लाख करोड़ खर्च किए जाएंगे. नाइक ने बताया कि फिलहाल देश में इंटर-रीजनल पावर ट्रांसमिशन की क्षमता 119 गीगावाट है. इसे 2026-27 तक बढ़ाकर 143 गीगावाट और 2031-32 तक 168 गीगावाट करने की योजना है.
नेशनल पावर ट्रांसमिशन स्कीम के बारे में यह जानकारी श्रीपद येसो नाइक ने राज्यसभा में दी. उन्होंने एक लिखित जवाब में बताया कि 2022-23 से 2031-32 तक 10 वर्ष की अवधि में 1,91,474 सर्किट किलोमीटर (सीकेएम) ट्रांसमिशन लाइनें और 1274 गीगा वोल्ट एम्पीयर (जीवीए) चेंज ओवर क्षमता जोड़ी जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 33.25 गीगावाट हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एचवीडीसी) बाइ-पोल लिंक की भी योजना बनाई गई है.
नाइक ने बताया कि इंटर-रीजनल ट्रांसमिशन की क्षमता को 2032 तक 168 गीगावॉट तक बढ़ाने के लिए ट्रांसमिशन की नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके अलावा ट्रांस बॉर्डर इंटरकनेक्शन और ट्रांसमिशन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी बढ़ाया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस योजना पर कुल 9,16,142 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ट्रांसमिशन योजना बिजली उत्पादकों, उपकरण निर्माताओं, ट्रांसमिशन सर्विस प्रोवाइडर (टीएसपी) और निवेशकों को ट्रांसमिशन क्षेत्र में विकास के बारे में जागरूक और आकर्षित भी करती है. इसके अलावा यह योजना भारत के साथ ही नेपाल, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के साथ मौजूदा संबंधों को भी कवर करती है.
33 हाइड्रो प्रॉजेक्ट हो रहे तैयार
श्रीपद येसो नाइक ने एक और सवाल के जवाब में बताया कि फिलहाल देश में 13,997.5 मेगावाट की 28 हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजनाएं (एचईपी) और 6,050 मेगावाट की पांच पंप स्टोरेज परियोजनाएं (पीएसपी) निर्माणाधीन हैं. इसके अलावा 19,460 मेगावाट की 28 एचईपी और 4,100 मेगावाट की 4 पीएसपी परियोजनाओं की जल्द शुरुआत हो सकती है. इनके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि 8,036 मेगावाट की कुल 11 एचईपी परियोजनाएं और 60,050 मेगावाट की कुल 44 परियोजनाएं सर्वेक्षण और जांच (एस एंड आई) की प्रक्रिया से गुजर रही हैं.
कोयले से भी बढ़ेगा बिजली उत्पादन
उन्होंने बताया कि फिलहाल 29,200 मेगावाट की कोयला आधारित बिजली उत्पादन की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं. इसके अलावा 18,400 मेगावाट क्षमता आवंटित की जा चुकी है, साथ ही 47,240 मेगावाट संभावित क्षमता पर विचार किया जा रहा है.
परमाण ऊर्जा में भी बढ़ोतरी
उन्होंने बताया कि फिलहाल देश में 7,300 मेगावाट परमाणु क्षमता निर्माणाधीन है. इसके अलावा 7,000 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान दी जा चुकी है. इसके अलावा अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के बारे में उन्होंने बताया कि 31 अक्टूबर, 2024 तक कुल 1,27,050 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा की परियोजनाएं कार्यान्वयन के अधीन हैं. इनमें से 89,690 मेगावाट के लिए बोली लगाई जा रही है.