आर्थिक सुस्ती के बाद भारत की अर्थव्यवस्था में दिख रही नई रफ्तार; रिपोर्ट के इन आंकड़ों ने कही ये बात
भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें संकेत दिए गए हैं कि देश की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव हो सकता है. सरकार की नई नीतियों और सुधारों का क्या असर पड़ेगा, यह जानने के लिए पढ़ें ये रिपोर्ट.
India’s Economic Rebound: भारत की अर्थव्यवस्था लंबे समय से चुनौतियों का सामना कर रही थी लेकिन अब इसके बेहतर संकेत मिलने लगे हैं. नए ऑर्डर, कृषि निर्यात, ग्रामीण मजदूरी, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP), स्टील प्रोडक्शन, ऑटो बिक्री और टैक्स कलेक्शन जैसे प्रमुख आर्थिक संकेतक फिर से पटरी पर लौटते दिख रहे हैं. वैश्विक वित्तीय संस्था BNP पारिबा की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 की तीसरी तिमाही में आई कमजोरी के बाद अब अर्थव्यवस्था में गिरावट का सिलसिला थमने जा रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 की तीसरी तिमाही में टैक्स कलेक्शन में आई गिरावट के बाद अब इसमें मजबूती देखी जा रही है. यह सुधार अर्थव्यवस्था की रिकवरी का एक अहम संकेत है. इसके अलावा, ग्रामीण मजदूरी में बढ़ोतरी और औद्योगिक उत्पादन में तेजी से भी आर्थिक स्थिति बेहतर होने के संकेत मिल रहे हैं.
GDP ग्रोथ में दिखेगी मजबूती
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुमान के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025 (FY25) में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने की संभावना है. खासतौर पर वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में यह दर 6.7 प्रतिशत तक पहुंच सकती है. कृषि क्षेत्र में मजबूती इस विकास का एक बड़ा कारण मानी जा रही है हालांकि समग्र वृद्धि अभी भी मध्यम स्तर पर बनी हुई है.
2024 में लगातार ऊंचे स्तर पर बनी रहने वाली खाद्य महंगाई में चौथी तिमाही तक नरमी देखने को मिली है. यह उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है और मांग को बढ़ाने में मदद कर सकती है.
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वित्तीय सुधारों पर सरकार का फोकस
सरकार वित्तीय सुधारों को लेकर सतर्क बनी हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, कैपेक्स में तेज बढ़त के बाद अब इसे संतुलित किया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2026 (FY26) के लिए सरकार ने कैपेक्स में 7.4 प्रतिशत की बढ़त का टारगेट रखा है, जिससे बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही, सब्सिडी खर्च में कटौती जारी रखने की योजना बनाई गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में राजकोषीय घाटा 4.4 प्रतिशत तक सीमित रहने की उम्मीद है, जो पहले के अनुमानों की तुलना में थोड़ा बेहतर है. यह सरकार की वित्तीय स्थिरता को दर्शाता है और अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा. कुल मिलाकर, बीएनपी पारिबा की रिपोर्ट बताती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सुस्ती से उबर रही है और आने वाले समय में इसमें और मजबूती देखने को मिल सकती है।