भारत के फॉरेक्स रिजर्व में गिरावट का सिलसिला जारी, पाकिस्तान के चढ़ते आंकड़ों ने उड़ाए होश; क्या है वजह?
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट देखी जा रही है, जबकि पाकिस्तान ने अप्रत्याशित रूप से अपने भंडार में बढ़ोतरी दर्ज की है. जानिए इसके पीछे के कारण और असर.
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (FOREX Reserve) में पिछले 50 दिनों में तेज गिरावट दर्ज की गई है, जबकि पड़ोसी देश पाकिस्तान के भंडार में बेहतरी बढ़ोतरी देखने को मिली है. इस गिरावट का असर देश के बिजनेस के प्रदर्शन पर भी पड़ता है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश के फॉरेक्स रिजर्व में लगातार 7वें हफ्ते गिरावट दिखी है. ऐसे में जहां भारत में फॉरेक्स रिजर्व चिंता का विषय बन गया है पाकिस्तान के निवेशकों में खुशी की लहर है.
50 दिनों में 47 बिलियन डॉलर की कमी
पिछले 50 दिनों में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 47 बिलियन डॉलर की कमी आई है. इसी अवधि में पाकिस्तान के भंडार में लगभग 29 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी देखी गई है. RBI के आंकड़ो के अनुसार, 15 नवंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का भंडार 17.761 बिलियन डॉलर घटकर 657.892 बिलियन डॉलर रह गया. इसके पहले, 8 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 6.477 बिलियन डॉलर की कमी दर्ज की गई थी. सितंबर के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 बिलियन डॉलर के सबसे हाई स्तर पर था लेकिन इसके बाद से इसमें लगातार ढलान पर रहा है.
स्वर्ण भंडार और एसडीआर में भी गिरावट
RBI के आंकड़ों के मुताबिक, 15 नवंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का स्वर्ण भंडार 2.068 बिलियन डॉलर घटकर 65.746 बिलियन डॉलर पर आ गया. इसके अलावा, विशेष आहरण अधिकार (SDRs) 94 मिलियन डॉलर घटकर 18.064 बिलियन डॉलर पर और IMF के पास भारत की रिजर्व पोजिशन 51 मिलियन डॉलर घटकर 4.247 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई.
पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल
भारत के विपरीत पाकिस्तान ने इस अवधि में अपने विदेशी मुद्रा भंडार में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) के अनुसार, देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 11.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. पाकिस्तान के कुल लिक्विड विदेशी भंडार लगभग 16 बिलियन डॉलर है जिसमें से 4.7 बिलियन डॉलर देश के कमर्शियल बैंकों के पास हैं.
क्या है वजह?
दोनों देशों के फॉरेक्स रिजर्व के उतार-चढ़ाव पर मार्केट एक्सपर्ट का मानना है कि देश के भंडार में कमी का मुख्य कारण वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव और आयात पर अधिक निर्भरता हो सकती है. वहीं, पाकिस्तान के बढ़ते भंडार के पीछे अंतरराष्ट्रीय सहायता और विदेशी निवेश को कारण माना जा रहा है.
क्या है आगे की चुनौती?
भारत के लिए यह गिरावट चिंता का विषय है क्योंकि मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार देश की वित्तीय स्थिरता का प्रतीक माना जाता है. वहीं, पाकिस्तान के लिए यह बढ़ोतरी उसकी अर्थव्यवस्था को राहत दे सकती है.भारत को अपने भंडार को स्थिर करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे जबकि पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह बढ़ोतरी स्थायी रहे.