ये है भारत का पहला फ्लाईओवर, जानें कब बना था और किसने बनाया

जिस जगह पर यह फ्लाईओवर बना है, कभी उसके एक कोने पर एक मेडिकल स्टोर हुआ करता था. इस मेडिकल स्टोर का नाम केंप्स एंड कंपनी था. यही वजह है कि इस फ्लाईओवर का नाम केंप्स कॉर्नर रखा गया. ऐसे केंप्स कॉर्नर के आर्किटेक्ट का नाम शिरीष बी पटेल है.

देश के पहले फ्लाईओवर का नाम क्या है. Image Credit: Freepik

सड़कों पर गाड़ियों के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए पूरे देश में फ्लाईओवर बनाए जा रहे हैं, ताकि लोगों को ट्रैफिक जाम से निजात मिल सके. इसके लिए राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकारें भी हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रही हैं. यही वजह है कि मुंबई- दिल्ली जैसे महानगरों के साथ-साथ अब छोटे- छोटे शहरों में भी फ्लाईओवर का जाल बिछ गया है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि देश का पहला फ्लाईओवर किस शहर में और कब बना था. साथ ही इसके बनाने वाले इंजीनियर का नाम क्या था. तो आइए आज जानते हैं, देश के पहले फ्लाइओवर के इतिहास के बारे में.

ऐसे तो देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में अभी 60 से ज्यादा फ्लाइओवर हैं, लेकिन ‘केंप्स कॉर्नर’ सबसे पुराना फ्लाईओवर है. खास बात यह है कि इसे भारत के पहले फ्लाईओवर का खिताब प्राप्त है. इसका निर्माण 60 के दशक में किया गया था. इसके बाद दूसरे नंबर पर प्रिंसेज स्ट्रीट-मरीन ड्रॉइव फ्लाईओवर का स्थान आता है. यह फ्लाईओवर भी मुंबई में ही है. बड़ी बात यह है कि प्रिंसेज स्ट्रीट-मरीन ड्रॉइव फ्लाईओवर देश का प्रसिद्ध फ्लाईओवर में शुमार है.

75 साल पुराना है यह फ्लाईओवर

जब मुंबई में केंप्स कॉर्नर फ्लाईओवर बन कर तैयार हुआ था, तो मुंबई ही नहीं पूरे देश के लिए आकर्षण का केंद्र था. मुंबई घूमने आने वाले लोग केंप्स कॉर्नर फ्लाईओवर पर खड़े होकर फोटो खिंचवाया करते थे. साथ ही लोग शौकिया तौर पर भी केंप्स कॉर्नर फ्लाईओवर जाकर बाइक या साइकिल चलाया करते थे. खास बात यह है कि अब यह फ्लाईओवर 75 साल पुराना हो चुका है, लेकिन पुराने लोगों के जेहन में अभी उसकी धमक बरकरार है. बुजुर्ग अभी भी केंप्स कॉर्नर फ्लाईओवर की गुणगान करते नहीं थकते हैं.

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फ्लाईओवर के लिए कैसे पास हुआ बजट

कॉर्नर फ्लाईओवर के निर्माण के पीछे भी एक बहुत ही रोचक कहानी है. बात 25 मई 1963 की है. तब के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू मुंबई आए हुए थे. तत्कालीन ट्रैफिक पुलिस के डिप्टी कमिश्नर मधुसूदन कस्बेकर नेहरू जी को घूमाने के लिए एक प्रदर्शनी में ले गए. घुमते-घुमते पंडित नेहरू केंप्स कॉर्नर फ्लाईओवर के मॉडल के पास पहुंच गए. तब डिप्टी कमिश्नर ने इसके निर्माण लागत के बारे में उनको अवगत कराया. उन्होंने कहा कि यह फ्लाइओवर बजट में कटौती का शिकार हो गया है. ऐसे यह 20 लाख रूपये में बन कर तैयार हो जाएगा. इसके बाद नेहरू जी ने साथ में मौजूद महाराष्ट्र के तत्कालीन राजस्व मंत्री वीपी नाईक की तरफ मुस्कुरा कर देखा. इसके साथ ही इस फ्लाइवोर के लिए बजट पास हो गया. खास बात यह है कि बजट पास होते ही यह फ्लाईओवर 7 महीने के अंदर ही 1964 में बन कर तैयार हो गया. वहीं, इसे बनाने के लिए बीजी आकेरकर को 17.5 लाख रुपये में कॉन्ट्रैक्ट मिला था.

कैसे पड़ा फ्लाईओवर का नाम केंप्स कॉर्नर

दरअसल, जिस जगह पर यह फ्लाईओवर बना है, कभी उसके एक कोने पर एक मेडिकल स्टोर हुआ करता था. इस मेडिकल स्टोर का नाम केंप्स एंड कंपनी था. यही वजह है कि इस फ्लाईओवर का नाम केंप्स कॉर्नर रखा गया. ऐसे केंप्स कॉर्नर के आर्किटेक्ट का नाम शिरीष बी पटेल है. हालांकि, अब वे इस दुनिया में नहीं रहें. बीते 20 दिसंबर को 92 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. कहा जाता है कि मुंबई के आधुनिकीकरण में शिरीष बी पटेल ने अहम भूमिका निभाई है. तब इनकी गिनती देश के बड़े आर्किटेक्ट में होती थी.

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