केरल के दिहाड़ी मजदूर दूसरों से कमाते हैं 3 गुना ज्यादा, जानिए कौन सबसे पीछे
केरल के ग्रामीण मजदूरों की सैलरी ने दूसरे राज्यों को पछाड़ दिया है. केरल दिहाड़ी मजदूरों को सबसे ज्यादा पैसा देता है वहीं सबसे कम मजदूरी देने वाला मध्य प्रदेश है. हालांकि समय के साथ अन्य राज्य सुधार कर रहे हैं
भारत में आए दिन दिहाड़ी मजदूरों की दुर्घटना, बिमारी और आत्महत्या से मौत की खबरों से अखबार का कोई कोना भरा रहता है. बिमारी में सही इलाज ना करा पाने और आत्महत्या की वजह अक्सर आर्थिक तंगी होती है. आरबीआई की एक रिपोर्ट ने मजदूरों की दिहाड़ी को लेकर कई खुलासे किए हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ‘भारतीय राज्यों पर सांख्यिकी पुस्तिका’ के मुताबिक केरल में मजदूरों को मिलने वाला मेहनताना देश में सबसे कम मजदूरी देने वाले राज्यों की तुलना में तीन गुना ज्यादा है.
केरल में सबसे अधिक मजदूरी की आय
RBI के इस रिपोर्ट में कृषि, गैर-कृषि और निर्माण क्षेत्र के पुरुष मजदूरों के लिए दिए गए आंकड़ों पर आधारित है. रिपोर्ट के मुताबिक कंस्ट्रक्शन सेक्टर से ताल्लुक रखने वाले मजदूरों को सबसे ज्यादा पैसा दिया जाता है.
RBI के आंकड़ों के मुताबिक, केरल के मजदूरों को औसतन 700 रुपये से अधिक मजदूरी मिलती है. जो पूरे देश में दिहाड़ी कामगरों को देने वाले आय से कई गुना ज्यादा है. वहीं मध्य प्रदेश में मजदूरों को सबसे कम आय दी जाती है. MP के दिहाड़ी कामगर दिन का केवल 292 रुपये पाते हैं. गैर-कृषि कार्य के लिए भी केरल ने 735 रुपये प्रति दिन का औसत दिया, जबकि मध्य प्रदेश ने सिर्फ 262 रुपये दिए. खेती किसानी के काम के लिए केरल ने 807 रुपये मजदूरी दी, जो देश में दिहाड़ी मजदूरों की सबसे अधिक आय है. वहीं इस सेक्टर में भी मध्य प्रदेश मजदूरों को 242 रुपये देकर सबसे पीछे खड़ा रहा.
घट रही असमानता
हालांकि, मजदूरी में राज्यों के बीच का अंतर काफी बड़ा है लेकिन कम मजदूरी देने वाले राज्य तेजी से इस अंतर को कम कर रहे हैं.
- निर्माण कार्य: 2014-15 में केरल की मजदूरी अन्य राज्यों से 4.5 गुना अधिक थी जो अब 2023-24 में 3 गुना हो गई है.
- मध्य प्रदेश: मजदूरी में 6% वार्षिक वृद्धि.
- ओडिशा: सबसे तेज़ 6.7% वार्षिक वृद्धि.
गैर-कृषि कार्य में असमानता 10 सालों में 4x से घटकर 2.8x हो गई. ओडिशा ने 7.2 फीसदी वार्षिक वृद्धि दर्ज की जबकि मध्य प्रदेश ने 6.4 फीसदी की दर से सुधार किया.