‘बिहार कोकिला’ शारदा सिन्हा का निधन, छठ में उनके गाए गीत लोगों में भर देते हैं उमंग
लोकप्रिय गायिका शारदा सिन्हा की ने मंगलवार की देर रात दिल्ली के AIIMS अस्पताल में आखिरी सांस ली. उनके शुभचिंतक इस खबर से बेहद मायूस हैं..
लोक और शास्त्रीय संगीत की दिग्गज गायिका शारदा सिन्हा ने 72 साल की आयु में छठ के पहले दिन इस दुनिया को अलविदा कह दिया. शारदा सिन्हा ने दिल्ली एम्स में आखिरी सांस ली. खबर की पुष्टी करते हुए उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने कहा, ‘आप सब की प्रार्थना और प्यार हमेशा मां के साथ रहेंगे. मां को छठी मईया ने अपने पास बुला लिया है. मां अब शारीरिक रूप में हम सब के बीच नहीं रहीं.’
मंगलवार को अचानक तबीयत खराब होने पर देर शाम उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती किया गया था. यहां डॉक्यर्स ने उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया लेकिन उनके तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया ना जा सका. आज छठ के पहले दिन जब हर घर में शारदा सिन्हा के गाये छठ गीत बज रहे उस दिन उन्होंने अपना प्राण त्याग दिया. इस खबर ने देशभर में उनके शुभचिंतकों को झकझोर कर रख दिया
2017 से कैंसर से जूझ रही थीं
शारदा सिन्हा को 2017 में मल्टीपल मायलोमा (हड्डियों के कैंसर का एक प्रकार) का पता चला था. इस साल सितंबर में ही उन्होंने अपने पति और राजनेता ब्रज किशोर सिन्हा को ब्रेन हेमरेज के कारण खो दिया. शारदा के परिवार में उनके बेटे अंशुमान के अलावा उनकी बेटी वंदना भी हैं.
लोकगीतों की ममता और छठ गीतों की पहचान
बिहार में जन्मी शारदा सिन्हा को ‘बिहार कोकिला’ के नाम से जाना जाता है. 1 अक्टूबर 1952 को जन्मी शारदा ने मैथिली और भोजपुरी में गाए अपने गीतों से एक विशेष पहचान बनाई. छठ पर्व पर गाए उनके गीत बिहार के लोगों में बेहद लोकप्रिय हैं. शादी-ब्याह में उनके गीत एक परंपरा बन चुके हैं.
उनके प्रसिद्ध छठ गीतों में ‘पहिले पहिले हम कईनी छठ,’ ‘केलवा के पात पर उगेलन सूरज मल झाके झुके,’ ‘हे छठी मइया,’ ‘हो दीनानाथ,’ और ‘पटना के घाट पर’ जैसे गीत शामिल हैं, जिन्हें सुनकर लोग भावुक हो जाते हैं. शारदा सिन्हा ने बसंत ऋतु और विभिन्न त्योहारों पर भी कई गीत गाए हैं.
बॉलीवुड में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा
लोकगीतों के साथ-साथ शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड में भी अपना अमूल्य योगदान दिया। 1989 में आई फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में उन्होंने ‘काहे तोसे सजना’ गाया था. इसके अलावा ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में उनके गाए गीत ‘तार बिजली’ ने भी खूब सराहना बटोरी. ‘हम आपके हैं कौन’ में उनका गाया गीत ‘बाबुल जो तुमने सिखाया’ लोगों के दिलों को छू गया था.
1991 में, शारदा सिन्हा को संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म श्री से नवाजा गया. इसके बाद 2018 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, जो भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है.