Maha Kumbh 2025: अंतरिक्ष से ऐसा दिखता है प्रयाग के महाकुंभ का नजारा, ISRO ने जारी की तस्वीरें

प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ की तस्वीरें ISRO ने साझा की है. इन तस्वीरों में विशाल धार्मिक समागम के लिए संगम पर बनाए गए टेंट सिटी, सड़कें और नदी पर बने पंटून पुल दिख रहे हैं. इसरो ने जो ये उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें साझा की हैं, वे EOS-O4 (RISAT-1A) से ली गई हैं.

महाकुंभ 2025 Image Credit: social media

Maha Kumbh 2025: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के रडार इमेजिंग सैटेलाइट ने प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ की तस्वीरें ली हैं. इन तस्वीरों में महाकुंभ के आयोजन के दौरान बड़े पैमाने पर हुए बदलाव स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं. तस्वीरों में संगम पर बनाए गए टेंट सिटी, सड़कें और नदी पर बने पांटून पुल दिख रहे हैं. इसरो ने यह तस्वीर हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें EOS-O4 (RISAT-1A) सैटेलाइट से ली हैं. यह एक C-बैंड माइक्रोवेव सैटेलाइट है, जो किसी भी मौसम में तस्वीरें लेने में सक्षम है.

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इन तस्वीरों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट “एक्स” पर साझा करते हुए लिखा कि इसरो ने अंतरिक्ष से महाकुंभ मेले की अद्भुत तस्वीरें शेयर की हैं. वहीं, NRSC के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने बताया कि इन तस्वीरों को लेने के लिए रडार सैटेलाइट का उपयोग किया गया है, क्योंकि यह बादलों के बीच से भी तस्वीरें खींचने में सक्षम है. केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि महाकुंभ मेला यह दिखाता है कि कैसे प्रौद्योगिकी और परंपरा मिलकर स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य का निर्माण कर सकते हैं.

EOS-O4 (RISAT-1A) के बारे में

RISAT-1A एक रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जो रडार इमेजिंग और निगरानी के लिए उपयोगी है. इसे धरती से 500 किलोमीटर की ऊंचाई पर तैनात किया गया है. यह सैटेलाइट विकास कार्यों की निगरानी, कृषि, आपदा प्रबंधन और मौसम से संबंधित रियल-टाइम जानकारी देती है.

महाकुंभ मेला

प्रयागराज में महाकुंभ का आज 11वां दिन है. अब तक करीब 7 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं. इसरो के जारी तस्वीरों में प्रयागराज का पीपे पुल की भी झलक दिखाई दे रही है. यह महाकुंभ नगर के संगम और 4,000 हेक्टेयर में फैले अखाड़ा क्षेत्र के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में पीपे के पुल काम कर रहा हैं. यह पुल ढाई हजार साल पुरानी फारसी तकनीक से लिया हैं. तीस पुलों के निर्माण के लिए 1,000 से अधिक लोगों ने एक वर्ष तक प्रतिदिन कम से कम 10 घंटे काम किया.