महाराष्ट्र पर भारी पड़ रही है लाडकी बहिन योजना, कई योजनाओं में कटौती; 9.3 लाख करोड़ पहुंचा कर्ज
महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ते कर्ज और राजस्व घाटे के बीच 2025-26 का बजट पेश किया. 9.3 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड कर्ज और 45,891 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे के कारण बड़ी योजनाओं की घोषणा नहीं की गई. सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए जिला वार्षिक बजट बढ़ाया और नए करों से 1,125 रुपये करोड़ का अतिरिक्त राजस्व जुटाने की योजना बनाई.
Maharashtra Budget 2025-26: महाराष्ट्र सरकार की लाडकी बहिन योजना के कारण राज्य पर भारी कर्ज चढ़ गया है. सोमवार को पेश किए गए 2025-26 के बजट में अब तक का सबसे ज्यादा कर्ज यानी 9.3 लाख करोड़ रुपये और 45,891 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा दिखाया गया है. घाटा बढ़ने की वजह से सरकार ने बजट में कोई भी बड़ा नया ऐलान नहीं किया है. इसके अलावा चुनाव में किए गए वादे भी फिलहाल के लिए टाल दिए गए हैं.
नए बड़े ऐलान नहीं
राज्य की वित्तीय स्थिति कमजोर होने के कारण इस बजट में कोई बड़ी नई योजना घोषित नहीं की गई. महायुति सरकार के घोषणापत्र में किए गए वादे, जैसे मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना की सहायता राशि 1,500 रुपये से बढ़ाकर 2,100 रुपये करना और किसानों की कर्जमाफी, फिलहाल के टाल दिए गए हैं. इस योजना के लाभार्थियों की संख्या घटाई जा रही है, जिससे इसका बजट 10,000 करोड़ रुपये कम कर दिया गया है.
सामाजिक न्याय पर जोर
आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को देखते हुए जिला वार्षिक योजना बजट 11 फीसदी बढ़ाकर 20,165 करोड़ रुपये कर दिया गया है. अनुसूचित जाति और जनजाति योजनाओं का बजट को 42 फीसदी और 40 फीसदी बढ़ाया गया है.
नई टैक्स का ऐलान
सरकार ने नए टैक्स का ऐलान किया है, जिनमें मुख्य रूप से मोटर वाहनों से संबंधित टैक्स शामिल हैं, जिससे 1,125 करोड़ रुपये का अतिरिक्त रेवेन्यू मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा, कुछ ट्रांजेक्शन पर स्टांप ड्यूटी भी बढ़ा दी गई है.
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कैसी है राज्य की वित्तीय हालात
राज्य का कर्ज पिछले साल के 7.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 9.3 लाख करोड़ रुपये हो गया है. पिछले वर्ष का राजस्व घाटा 20,051 करोड़ रुपये था, जो अब दोगुना बढ़कर 45,891 करोड़ रुपये हो गया है. राज्य का वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit) GSDP का 2.76 फीसदी है, जो अभी भी निर्धारित सीमा के भीतर है. वहीं, कुल कर्ज GSDP का 18.7 फीसदी है, जबकि सरकार की निर्धारित सीमा 25 फीसदी तय की गई है. उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, जो वित्त विभाग संभाल रहे हैं ने कहा कि कर्ज और वित्तीय घाटा तय सीमाओं के भीतर है. हालांकि, राज्य की आर्थिक स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है.