मनमोहन सिंह के समय कितनी बढ़ी कमाई, कैसा था शेयर बाजार और कितना था विदेशी मुद्रा भंडार, जाने सारा गणित

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आर्थिक नीतियां केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने लाखों भारतीयों के जीवन को प्रभावित किया. उन्होंने भारत को आर्थिक संकट से उबारा और एक मजबूत, स्थिर अर्थव्यवस्था की नींव रखी. पूर्व वित्त मंत्री एवं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ये पांच आर्थिक उपलब्धियां भारत के आर्थिक इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएंगी.

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह Image Credit: tv9 भारतवर्ष

पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को अंतिम विदाई दे चुकी है. देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, उसकी रफ्तार बढ़ाने और भारत को विश्व मंच पर एक मजबूत और स्थिर अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने में उनकी अहम भूमिका रही. उनकी नीतियों ने न केवल जीडीपी ग्रोथ रेट में क्रांति लाई बल्कि आम आदमी की इनकम बढ़ाई, गरीबी घटाई और विदेशी मुद्रा भंडार में उल्लेखनीय वृद्धि की. आइए, जानते हैं उनकी पांच प्रमुख आर्थिक उपलब्धियां, जो इंडियन इकोनॉमी के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुईं.

GDP ग्रोथ रेट में बेहतरीन बढ़त

1991 का साल भारत के लिए आर्थिक संकट का काल था. उस समय डॉ. मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में दूरदर्शी आर्थिक सुधारों की शुरुआत की. उन्होंने कहा था, “दुनिया की कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ चुका है.” साल 1991-92 में 1.4% की वृद्धि दर से जूझ रही देश की इकोनॉमी ने 1995-96 तक 7.3% की छलांग लगाई. यह भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी. आगे चलकर, 2004-2014 के बीच प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने देश की जीडीपी ग्रोथ को 7% से अधिक बनाए रखा. इस वृद्धि ने लाखों भारतीयों की आय और जीवन स्तर में सुधार किया.

प्रति व्यक्ति आय में ऐतिहासिक वृद्धि

डॉ. मनमोहन सिंह के आर्थिक सुधारों ने गरीबी को कम करने और आम लोगों की आय बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई. 1990-91 में भारत की प्रति व्यक्ति आय में गिरावट माइनस 1.5% थी, जो 2013-14 तक 5.6% तक पहुँच गई. इस वृद्धि ने भारतीयों की क्रय शक्ति बढ़ाई और लाखों परिवारों को गरीबी से बाहर निकाला.

विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल

1991 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 4.7 बिलियन डॉलर था और यह समाप्त होने के कगार पर था. डॉ. मनमोहन सिंह की नीतियों और वैश्वीकरण की ओर उठाए गए कदमों ने 5 सालों में इसे चार गुना बढ़ाकर 22.1 बिलियन डॉलर तक पहुँचा दिया.

गरीबी में आई कमी और जीवन स्तर में आया सुधार

डॉ. सिंह के आर्थिक सुधारों का सीधा लाभ समाज के निचले तबके को मिला. 2004-05 से 2011-12 के दौरान गरीबी में कमी की दर तीन गुना हो गई. उनकी योजनाओं, जैसे मनरेगा और ग्रामीण विकास कार्यक्रमों ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आजीविका के अवसर पैदा किए.

शेयर बाजार की उन्नति

डॉ. सिंह की आर्थिक नीतियों का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिखा.1991 में सेंसेक्स 1909 अंकों पर था, लेकिन उनके सुधारों ने इसे नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया. 2004-2014 के दौरान सेंसेक्स में 75% की वृद्धि दर्ज की गई.

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