MGNREGA Budget : मनरेगा पर क्या बढ़ेगा बजट, जानें 5 साल में मोदी सरकार ने कितना क्या खर्च

आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 वर्षों में सरकार ने मनरेगा के लिए आवंटित बजट से अधिक खर्च किया है. हालांकि, हर वर्ष इस योजना पर खर्च बढ़ा है, लेकिन कुल बजट में इसकी हिस्सेदारी घटती रही है.

मनरेगा Image Credit: tv9

Expenditure on MGNREGA in Budget 2025: वैसे तो हर साल के बजट में देश के सभी सेक्टर्स को काफी कुछ उम्मीदें रहती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली योजना मनरेगा होती है. साल में 100 दिनों का रोजगार देने की गारंटी वाली इस योजना पर हर साल सभी की नजरें टिकी रहती हैं. 2006 में शुरू की गई सरकार की महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की उपयोगिता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकार ने पिछले 5 सालों में इस योजना पर शुरुआती बजट की तुलना में हर साल अधिक खर्च किया है. ऐसे में, साल 2025 के आर्थिक सर्वेक्षण से पता चलेगा कि साल 2024 में शुरुआती बजट की तुलना में सरकार ने इस योजना पर कितनी अधिक राशि खर्च की है.

बजट आवंटन की तुलना में वास्तविक खर्च अधिक

वहीं, अगर पिछले वर्षों के मनरेगा बजट और वास्तविक खर्च की तुलना की जाए तो यह साफ होता है कि सरकार हर साल इस योजना पर बजट से अधिक खर्च करती रही है. मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का शुरुआती बजट की तुलना में वास्तविक खर्च औसतन 29.6 प्रतिशत अधिक रहा है. इस लिहाज से देखा जाए तो कृषि उत्पादकता में बढ़ोतरी पर ध्यान दिए बिना ही सरकार ने इस योजना पर अधिक खर्च किया है.

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वित्त वर्षबजट आवंटन (करोड़ रुपयेवास्तविक खर्च (करोड़ रुपये)
2020-2161,5001,10,000
2021-2273,00098,468
2022-2373,00085,000
2023-2460000105000
2024-2586000

बजट के आंकड़ें

वित्त वर्ष 2024 में सरकार ने मनरेगा पर 86,000 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि वित्त मंत्री ने वर्ष 2024 के लिए बजट में 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. वहीं, वित्त वर्ष 2023 के बजट में सरकार ने 73,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया था, जबकि वास्तविक खर्च 85,000 करोड़ रुपये से अधिक हुआ. कोविड के दौरान, वित्त वर्ष 2021 में मनरेगा पर वास्तविक खर्च प्रारंभिक बजट आवंटन से 80.8 प्रतिशत अधिक था. पिछले दस वर्षों के आंकड़ों से यह भी स्पष्ट होता है कि कोविड के बाद वास्तविक खर्च और शुरुआती बजट के बीच अंतर दोगुने से भी अधिक हो गया है. वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2024 के बीच योजना पर वास्तविक खर्च बजटीय आवंटन से औसतन 34.2 प्रतिशत अधिक रहा, जबकि वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2020 के बीच यह अंतर 16 प्रतिशत है.


ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि वित्त वर्ष 2025 के बजट में मनरेगा को लेकर सरकार से और अधिक प्रावधान किए जाने की उम्मीद है. खास बात यह है कि मनरेगा पर बढ़ते खर्च के बावजूद, कुल बजट में इसका हिस्सा घटता जा रहा है. उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2024 में मनरेगा पर 86,000 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो कुल सरकारी खर्च का मात्र 1.13 प्रतिशत था, जबकि वित्त वर्ष 2019 में यह हिस्सा 2.1 प्रतिशत था.