Social Media के लिए जरूरी होगी पैरेंट्स की मंजूरी, जल्द बनेंगे नियम; सरकार ने मांगे सुझाव

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन रूल (DPDPR) का मसौदा जारी किया. इस मसौदे में बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर पैरेंट्स को लगाम लगाने की ताकत देने सहित कई बड़े बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं. फिलहाल, सरकार ने इस मसौदे को लोगों के सामले रखा, ताकि इसके लिए सुझाव दिए जा सकें.

मसौदा नियमों पर 18 फरवरी तक सुझाव दिए जा सकते हैं. Image Credit: Image by freepik

केंद्र सरकार ने संसद में मंजूरी मिलने के 14 महीने बाद डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन बिल के आधार पर शुक्रवार को नए नियमों का मसौदा जारी किया है. मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की तरफ से जारी मसौदा अधिसूचना में कहा गया है, डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन अधिनियम, 2023 (2023 का 22) की धारा 40 की उप-धाराओं (1) और (2) से मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने इस अधिनियम के लागू होने की तिथि को या उसके बाद बनाए जाने के लिए प्रस्तावित नियमों का मसौदा जारी किया है. इस मसौदे को इससे प्रभावित होने की संभावना रखने वाले सभी लोगों की जानकारी के लिए प्रकाशित किया गया है.

नाबालिगों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर लगेगी लगाम

प्रस्तावित नियमों के मुताबिक 18 साल से कम उम्र के बच्च पैरेंट्स की सहमति से ही सोशल मीडिया अकाउंट बना सकेंगे. फिलहाल, 18 फरवरी तक इस मसौदे को आपत्तियों और सुझावों के लिए रखा गया है. ड्राफ्ट में बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल के लिए पैरेंट की सहमति लेने का तरीका भी बताया गया है.

बच्चों के डाटा के इस्तेमाल के लिए भी लेनी होगी मंजूरी

मसौदा नियमों बताया गया है कि बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी के इस्तेमाल के लिए भी कंपनियों को पैरेंट्स की मंजूरी लेनी होगी. इसके साथ ही इसमें यह भी प्रस्ताव रखा गया है कि बच्चों के बारे में किसी भी तरह का डाटा जुटाने और उसके किसी भी रूप में इस्तेमाल से पहले पैरेंट्स की सहमति लेनी होगी. नए नियमों के तहत डाटा जुटाने वाली और डाटा का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को डाटा फिड्युसरी कहा गया है.

डाटा फिड्युसरी को बनाना होगा मैकेनिज्म

नियमों में पैरेंट्स से सहमति लेने के लिए एक सिस्टम बनाने की रूपरेखा देने के साथ ही यह भी तय किया गया है कि डाटा फिड्युसरी को DPDP के तहत डाटा जुटाने और उस डाटा का इस्तेमाल करने के लिए लोगों और खासतौर पर पैरेंट्स से सहमति लेने के लिए एक मैकेनिज्म बनाना होगा. मसौदे में कहा गया है कि “डाटा फिड्युसरी यह सुनिश्चित करें कि उचित तकनीकी और संगठनात्मक उपायों के जरिये बच्चों के पर्सनल डाटा को प्रोसेस करने से पहले माता-पिता की वैरिफाएबल सहमति हासिल की जाए.”

करनी होगी जांच

इसके साथ ही मसौदे में कहा गया है कि डाटा फिड्युसरी को यह जांच करनी होगी कि खुद को बच्चे के माता-पिता के रूप में बताने वाला व्यक्ति वयस्क है और भारत में लागू किसी भी कानून के अनुपालन के संबंध में पहचान योग्य है. मसौदा नियमों के मुताबिक डाटा फिड्युसरी को डाटा तब तक रखना होगा, जब तक के लिए उसे सहमति प्रदान की गई है.

कौन होंगे डाटा फिड्युसरी

ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया और गेमिंग प्लेटफॉर्म डाटा फिड्युसरी की कैटेगरी में आएंगे. मसौदा नियमों में डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 के तहत कंसेंट प्रोसेसिंग के प्रावधान भी किए गए हैं. इसके साथ ही डाटा फिड्युसरी और अधिकारियों के कामकाज का प्रबंधन करने के मैकेनिज्म के बारे में भी बताया गया है.

नियमों में जुर्माने का उल्लेख नहीं

मसौदा नियमों में डीपीडीपी अधिनियम, 2023 में प्रस्तावित जुर्माने और दंड का उल्लेख नहीं किया गया है. इस अधिनियम में व्यक्तिगत डाटा उल्लंघन के मामले में डाटा फिड्युशरीज पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है.

18 फरवरी तक दे सकते हैं सुझाव

सार्वजनिक परामर्श के लिए प्रकाशित किए गए मसौदा नियमों पर 18 फरवरी के बाद अंतिम नियम बनाने के लिए विचार किया जाएगा. फिलहाल मसौदा सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए MyGov वेबसाइट पर उपलब्ध है. यहां देख सकते हैं पूरा मसौदा