आंतकवादी के गुनाहों की सजा परिवार को नहीं, जारी करना होगा पासपोर्ट, हाई कोर्ट का फैसला
जम्मू हाईकोर्ट ने पासपोर्ट को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर किसी व्यक्ति को उसके मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता कि उसके परिवार का कोई सदस्य उग्रवादी गतिविधियों में शामिल था.

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने पासपोर्ट को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति को केवल इस आधार पर पासपोर्ट से वंचित नहीं किया जा सकता कि उसके परिवार का कोई सदस्य उग्रवादी गतिविधियों (militant activities) में शामिल है. न्यायमूर्ति एम.ए. चौधरी ने अपने फैसले में कहा किसी व्यक्ति का भाई उग्रवादी है और उसके पिता आतंकियों के सहयोग में शामिल हैं, तो भी उसे उसके मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसा करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन माना जाएगा.
क्या है पूरा मामला?
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ता मोहम्मद आमिर मलिक, जो कि रामबन जिले का निवासी है. इन्होंने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था. लेकिन उसका पासपोर्ट इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया कि उसके भाई का संबंध हिजबुल मुजाहिद्दीन संगठन से था और वह सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया. इसके अलावा, याचिकाकर्ता के पिता पर भी आतंकियों के सहयोग का आरोप था. पासपोर्ट आवेदन अस्वीकार होने के बाद, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
कोर्ट ने क्या कहा?
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार , जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एम.ए. चौधरी ने कहा कि किसी व्यक्ति को केवल उसके परिवार के सदस्यों की गतिविधियों के आधार पर पासपोर्ट देने से इनकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह निर्णय व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होगा.
कोर्ट का निर्देश
हाईकोर्ट ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (CID) को आदेश दिया कि वे चार हफ्तों के भीतर क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी को नई रिपोर्ट सौंपें. इस रिपोर्ट को तैयार करते समय याचिकाकर्ता के भाई और पिता की गतिविधियों को ध्यान में नहीं रखा जाना चाहिए. इसके बाद, पासपोर्ट अधिकारी को CID की रिपोर्ट के आधार पर दो सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के पक्ष में उचित निर्णय लेना होगा.
राजनीतिक प्रतिक्रिया
कोर्ट के इस फैसले का विभिन्न राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है और इसे “सही दिशा में एक कदम” कहा है.
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