पॉपकॉर्न पर GST का तड़का, सोशल मीडिया पर जमकर बहस, बोले- अब पानी का नंबर
पॉपकॉर्न पर अलग-अलग टैक्स स्लैब की घोषणा ने सोशल मीडिया पर मजेदार बहस छेड़ दी है. लोग सोशल मीडिया के जरीए अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. जहां कुछ भारत के मंत्री की तुलना विदेश के मंत्रियों से कर रहे हैं वहीं कुछ व्यंगात्मक प्रहार कर रहे हैं.
सिनेमा हॉल में खाने- पीने की चीजें खरीदने से पहले अक्सर मीडिल क्लास अपना पॉकेट टटोलता है. स्ट्रीट पर करीब 20 से 40 रुपये में मिलने वाले कोल्ड ड्रिंक और पॉपकॉर्न सिनेमा हॉल में कई गुणा ज्यादा दाम पर बिकते हैं जो आमजन को अक्सर हिचकिचाहट में डाल देते हैं. थिएटर में मिलने वाले महंगे दाम की चीजें फिर से एस बार बहस का मुद्दा बन गई हैं.
पॉपकॉर्न पर जीएसटी के अलग-अलग स्लैब ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है. जीएसटी काउंसिल की घोषणा कि नमक और मसाले मिले तैयार पॉपकॉर्न पर 12 फीसदी और कैरामल पॉपकॉर्न पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा. इस खबर ने नेटिज़न्स को मिम्स तैयार करने का मौका दे दिया. लोगों ने इसे लेकर सरकार की आलोचना तो की ही, साथ ही अपने व्यंग्यपूर्ण अंदाज से मनोरंजन का पिटारा भी खोल दिया.
कैसे बदला पॉपकॉर्न का “असली कैरेक्टर”?
जीएसटी काउंसिल ने कहा कि जब पॉपकॉर्न में चीनी मिलाई जाती है (जैसे कैरामल पॉपकॉर्न) तो इसका मूल स्वभाव बदलकर एक “शुगर कन्फेक्शनरी” जैसा हो जाता है. इसलिए, इसे 18% जीएसटी स्लैब में रखा गया है. इस निर्णय ने जनता को चौंका दिया और सोशल मीडिया पर मजाकिया प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई.
एक यूजर ने लिखा, “जो लोग ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ लागू करने की वकालत कर रहे हैं, वे पॉपकॉर्न पर ‘वन टैक्स रेट’ लागू नहीं कर पा रहे.”
वहीं, दूसरे ने पुरानी गाड़ियों पर लगाए गए 18 फीसदी जीएसटी का जिक्र करते हुए लिखा, “पॉपकॉर्न पर 18% जीएसटी तो समझ आता है, ये तो अमीर लोगों का स्नैक है. लेकिन पुरानी कार जो अक्सर गरीब लोग लेते हैं उसपर 18% टैक्स लगाना सही है क्या?”
एक और यूजर ने तंज कसते हुए लिखा, “आने वाले समय में पानी पीने पर भी जीएसटी लगेगा – 5% अगर आप सिप लेते हैं, 12% अगर गटकते हैं, और 18% अगर गिरा देते हैं.”
GST काउंसिल की आलोचना
काउंसिल की आलोचना करते हुए एक व्यक्ति ने लिखा, “हमारे नेता जीएसटी का मजाक बना रहे हैं. सभी राज्य वित्त मंत्री मिलकर यह तय कर रहे हैं कि पॉपकॉर्न पर टैक्स सामग्री के आधार पर कैसे लगाया जाए. अब अगला कदम रेस्टोरेंट के मेन्यू पर होगा.”
कुछ यूजर्स ने सुझाव भी दिया कि DIY पॉपकॉर्न खरीदें और टैक्स से बचें. एक पोस्ट में लिखा गया, “अब जीएसटी से बचने का एकमात्र तरीका है ACT II पॉपकॉर्न खरीदें और टैक्स फ्री पॉपकॉर्न का मजा लें.”
एक लोकप्रिय ब्रांड की टैगलाइन पर कटाक्ष करते हुए एक व्यक्ति ने पोस्ट किया, “नया सवाल… क्या आपके पॉपकॉर्न में नमक है?”
कुछ ने विदेशी वित्त मंत्रियों से तुलना करते हुए लिखा, “जहां दूसरे देशों के वित्त मंत्री क्रिप्टो रिजर्व बनाने पर चर्चा कर रहे हैं वहीं हमारे मंत्री पॉपकॉर्न पर अलग-अलग टॉपिंग्स के टैक्स पर चर्चा कर रहे हैं.”
सरकार के इस फैसले पर एक यूजर ने नाराजगी जाहिर करते हुए इसे ‘स्टुपिड’ और ‘मेस’ करार दिया. उसने अपने पोस्ट में लिखा, “जीएसटी नियम सबसे बेवकूफी भरे हैं. देखिए, कैसे चॉकलेट केक पर जीएसटी इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कहां ऑर्डर करते हैं. इस सरकार ने जीएसटी का मजाक बना दिया है.”