प्रियंका गांधी की साड़ी हुई वायरल, लाखों में है कीमत; केरल से है हजारों साल पुराना नाता
प्रियंका गांधी ने वायनाड की जनता को सम्मान देने के लिए लोकसभा शपथ समारोह में केरल की पारंपरिक कसावु साड़ी पहनी. इस घटना ने सबका ध्यान खींचा और केरल की यह साड़ी चर्चा का विषय बन गई. वायनाड की सांसद ने जो साड़ी पहनी उसकी कीमत लाखों में है.
लोकसभा में गुरुवार यानी 28 नवंबर का दिन भारतीय राजनीति में एक खास क्षण लेकर आया. वायनाड से सांसद चुनी गई कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा जब अपने पद की शपथ लेने संसद पहुंची तो उनके परिधान ने सुर्खियां बटोर लीं. प्रियंका गांधी ने इस मौके पर केरल की पारंपरिक कसावु साड़ी पहनकर अपनी जड़ों और अपनी नई जिम्मेदारियों को सम्मानित किया.
कसावु साड़ी न केवल केरल की संस्कृति का प्रतीक है बल्कि प्रियंका के लिबास ने सबको उनकी दादी और तीन बार की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की याद दिला दी, जो अक्सर ऐसे पारंपरिक परिधानों में दिखती थीं. इंदिरी गांधी अक्सर अपने परिधानों के जरिए आम जनता से जुड़ने का प्रयास करती थीं
कासावु साड़ी की कीमत
कसावु साड़ी अपने सफेद आधारभूत रंग और सुनहरी बॉर्डर के लिए जानी जाती है. कासवु साड़ी का इतिहास सदियों पुराना है, और इसकी जड़ें उस समय से जुड़ी हैं जब केरल एक प्रमुख व्यापार केंद्र के रूप में विकसित हुआ था. अपनी सादगी और कालातीत सुंदरता के लिए जानी जाने वाली ये साड़ियां शुरू में हाथ से काते गए सूती धागे से बुनी जाती थीं. साड़ी की प्रतिष्ठा बढ़ती गई तो इसके बॉर्डर में सोने और चांदी के धागे बुने जाने लगें. कसावु वास्तव में साड़ी के बॉर्डर में इस्तेमाल होने वाले ज़री को कहते हैं, न कि पूरी साड़ी को. यह ज़री ही साड़ी को स्पेशल बनाता है क्योंकि इसमें सोने के धागों का इस्तेमाल होता है.
केरल की कसावु साड़ियां तीन प्रसिद्ध क्लस्टरों—बलरामपुरम, चेंदमंगलम और कूथमपुल्ली में बनाई जाती हैं. इन सभी को भारत सरकार ने जीआई टैग दिया है. बलरामपुरम क्लस्टर अपने हाथ से बुने हुए साड़ियों के लिए जाना जाता है, जबकि चेंदमंगलम और कूथमपुल्ली की साड़ियां अपने पारंपरिक डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध हैं. इन साड़ियों की कीमत कपास से लेकर ज़री के इस्तेमाल और श्रम पर निर्भर करती है. एक साधारण कसावु साड़ी की कीमत 3,000 रुपये से शुरू होती है लेकिन अगर ज़री का काम में सोने के इस्तेमाल किया गया है तो इसकी कीमत 1.5 लाख रुपये तक जा सकती है.
कासावु साड़ी के सादे रंग का विज्ञान
पुराने समय में कसावु साड़ी का उपयोग आम जनता के लिए नहीं था. यह साड़ी केवल रॉयल्टी और उच्च वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित थी. आम लोग रंगीन वस्त्र पहनते थे.
कसावु साड़ियों का सफेद रंग क्यों होता है इसके पीछे कई दिलचस्प तर्क हैं.
- एक धारणा कहती है कि केरल की हरियाली और रंगीन वातावरण के कारण लोगों ने सफेद को चुना ताकि यह प्राकृतिक सुंदरता को संतुलित कर सके.
- दूसरा कारण तकनीकी है. चूंकि केरल में भारी बारिश होती है, इसलिए कपड़े को रंगने की प्रक्रिया कठिन थी.
- तीसरा तर्क इसे सोने की संस्कृति से जोड़ता है. केरल में आभूषणों का महत्व इतना अधिक है कि साड़ी को सजाने की आवश्यकता महसूस नहीं होती थी.
प्रियंका गांधी का कसावु साड़ी पहनना केवल एक फैशन स्टेटमेंट नहीं था बल्कि यह भी दर्शाता है कि एक नेता कैसे अपने परिधानों और विचारों के जरिए जनता के साथ गहराई से जुड़ सकता है.