RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्त मंत्री से की मुलाकात, क्या बढ़ने वाला है उनका कार्यकाल?

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास 6 साल तक केंद्रीय बैंक के गवर्नर के रूप में काम कर चुके हैं, जो हाल के दशकों में एक मानक पांच साल के कार्यकाल को पार कर चुके हैं. उनका कार्यकाल 10 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. यदि उन्हें विस्तार मिलता है, तो सोमवार तक इसकी घोषणा होने की उम्मीद है.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास. (फाइल फोटो) Image Credit: PTI

कार्यकाल में विस्तार की अटकलों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से करीब आधे घंटे तक मुलाकात की. उनकी ये मुलाकात नॉर्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्री के कार्यालय में हुई है. वहीं, वित्त मंत्री के कार्यालय से बाहर आने के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह केवल एक शिष्टाचार भेंट थी. हालांकि, उन्होंने इसके अलावा कोई जानकारी नहीं दी. खास बात यह है कि गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल अगले हफ्ते समाप्त होने वाला है. ऐसे में वित्त मंत्री से उनकी मुलाकात बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दास 6 साल तक केंद्रीय बैंक के गवर्नर के रूप में काम कर चुके हैं, जो हाल के दशकों में एक मानक पांच साल के कार्यकाल को पार कर चुके हैं. उनका कार्यकाल 10 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. यदि उन्हें विस्तार मिलता है, तो सोमवार तक इसकी घोषणा होने की उम्मीद है. यह उन्हें बेनेगल रामा राव के बाद सबसे लंबे समय तक RBI गवर्नर भी बना देगा, जिन्होंने 1949 से 1957 तक साढ़े सात साल तक इस पद पर काम किया था, जबकि बिमल जालान नवंबर 1997 से सितंबर 2003 के बीच गवर्नर रहकर इस मील के पत्थर के करीब पहुंचे थे.

क्या बढ़ाया जाएगा कार्यकाल

कई रिपोर्टों में कहा गया है कि दास का कार्यकाल कम से कम एक साल के लिए बढ़ाए जाने की संभावना है, क्योंकि केंद्र सरकार के पास इस पद के लिए इस समय कोई अन्य उम्मीदवार नहीं है. दास की नियुक्ति 25वें गवर्नर के रूप में उनके पूर्ववर्ती उर्जित पटेल के विवादास्पद इस्तीफे के बाद हुई, जब आरबीआई और सरकार के बीच राजकोषीय नीति और बैंकिंग विनियमन जैसे मुद्दों पर मतभेद थे. दास ने एक समझौतापूर्ण लेकिन दृढ़ दृष्टिकोण के साथ कार्यभार संभाला, सरकार के साथ संवाद की खुली लाइनें बनाए रखते हुए आरबीआई की स्वायत्तता पर जोर दिया.

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उनके फैसले से महंगाई हुई कम

उन्होंने साल 2020 में रेपो दर को 4 फीसदी के ऐतिहासिक निचले स्तर पर गिर गया और ऋण स्थगन और तरलता जलसेक पैकेज जैसे उपाय पेश किए. दास के कार्यकाल में विकास को बढ़ावा देने और महंगाई को नियंत्रित करने के बीच एक नाजुक संतुलन देखा गया है. खासकर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और भू-राजनीतिक तनाव जैसे वैश्विक दबावों के बीच. वैश्विक प्रतिकूलताओं और आपूर्ति-श्रृंखला व्यवधानों के बावजूद, दास मौद्रिक नीति हस्तक्षेपों के माध्यम से मुद्रास्फीति को कम करने में काफी हद तक कामयाब रहे हैं. अप्रैल 2022 में 7.79 फीसदी के शिखर पर पहुंचने के बाद, सीपीआई महंगाई कम हो गई है और 5-6 फीसदी की सीमा में मडरा रही है. उनकी नीतियों ने महंगाई को नियंत्रित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के दोहरे उद्देश्यों को संतुलित किया है.

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