CPI Inflation: नवंबर में घटकर 5.48 फीसदी रही खुदरा महंगाई, नए RBI गवर्नर को पहली खुशखबरी

अगस्त में खुदरा महंगाई दर 3.65% रही. इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि महंगाई टोलरेंस ब्रैकेट में आने के बाद रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. लेकिन, सितंबर के बाद से लगातार महंगाई दर 5 फीसदी से ऊपर बनी हुई है.

रिटेल इन्फ्लेशन में अक्टूबर में 14 महीने के शीर्ष पर पहुंच गया था. Image Credit: Money9

नवंबर में आम लोगों को खुदरा महंगाई से थोड़ी राहत मिली. गुरुवार को जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के मुताबिक नवंबर में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) में अक्टूबर की तुलना में कमी आई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में खुदरा महंगाई घटकर 5.48% हो गई. जो अक्टूबर में 6.21% थी. नवंबर में महंगाई में कमी के पीछे सबसे बड़ा कारण सब्जियों की कीमतों में कमी और खाद्य तेल की कीमतों का स्थिर होना रहा. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर संजय मल्‍होत्रा के लिए खुदरा महंगाई दर का नीचे आना किसी खुशखबरी से कम नहीं है.

रिजर्व बैंक ने 2 से 6 फीसदी खुदरा महंगाई दर को टोलरेंस ब्रैकेट में रखा. इसके अलावा मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 4.5 फीसदी का लक्ष्य रखा. लेकिन, पिछले तीन महीने से लगातार महंगाई का आंकड़ा इस दायरे से बाहर बना हुआ है. अगस्त में खुदरा महंगाई 3.65% रही. इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि महंगाई टोलरेंस ब्रैकेट में आने के बाद रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. लेकिन, सितंबर के बाद से लगातार महंगाई दर 5 फीसदी से ऊपर बनी हुई है. फिलहाल, RBI की मौद्रिक नीति समिति ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए महंगाई के अनुमान को बढ़ाकर 4.8% कर दिया है.

अक्टूबर में लगा बढ़ा झटका

अक्टूबर में महंगाई अचानक तेजी से बढ़कर 14 महीने के उच्च स्तर 6.21% तक बढ़ गई. असल में अक्टूबर में महंगाई बढ़ने के पीछे चार वर्षों में सब्जियों की कीमतों में हुई तीव्र वृद्धि रही है. सितंबर में खाद्य तेलों पर लगाए गए अतिरिक्त आयात शुल्क ने भी कीमतों के दबाव को काफी बढ़ा दिया था. बहरहाल, सब्जियों की कीमतों में कमी के के चलते महंगाई दर में कमी आई है.

आरबीआई का रुख

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पिछले सप्ताह ही अपने पूर्वानुमान को बदला है. इसमें जीडीपी ग्रोथ को 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया गया है. इसी तरह इस अवधि के लिए महंगाई के अनुमान को 4.5% से बढ़ाकर 4.8% कर दिया है. पूर्व आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी की बैठक के दौरान अपने बयान में कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही तक ऊंची रहने की उम्मीद है. हालांकि, इससे बाद चौथी तिमाही में कमी के संकेत दिखेंगे. दास ने कहा था कि मौसमी घटनाओं, वित्तीय अस्थिरता और भू-राजनीतिक घटनाक्रम महंगाई बढ़ाने का जोखिम पैदा करते हैं.

खाद्य महंगाई और घटने की उम्मीद

टाटा एसेट मैनेजमेंट के सीनियर फंड मैनेजर अखिल मित्तल ने कहा कि नवंबर 2024 के लिए खुदरा महंगाई 5.48% पर आ गई है, जबकि बाजार ने 5.50% की उम्मीद की थी. खाद्य महंगाई महीने दर महीने कम होकर 9.04% पर आ गई, जबकि कोर महंगाई 3.7% पर स्थिर रही. हमें उम्मीद है कि सर्दियों के शुरू होने के साथ ही खाद्य मूल्य महंगाई में नरमी जारी रहेगी. हमें आशा है कि दिसंबर 2024 के लिए महंगाई 5.2-5.3 तक गिर सकती है.

अक्‍टूबर में 3.5 फीसदी रही औद्योगिक उत्‍पादन की ग्रोथ रेट

माइनिंग, बिजली और मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर्स के खराब प्रदर्शन की वजह से इस साल अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन की ग्रोथ रेट घटकर 3.5 फीसदी रह गई. इसके पहले सितंबर महीने में यह 3.1 फीसदी बढ़ा था. गुरुवार को राष्‍ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई. औद्योगिक उत्पादन पिछले साल इसी महीने में 11.9 फीसदी की दर से बढ़ा था.

एनएसओ द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर का उत्पादन अक्टूबर में 4.1 फीसदी बढ़ा, जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 10.6 फीसदी की वृद्धि हुई थी. अक्टूबर, 2024 में खनन उत्पादन में 0.9 फीसदी और बिजली उत्पादन में दो फीसदी की वृद्धि हुई.