Smartphone PLI स्कीम हुई हिट, सरकार ने 5,800 करोड़ देकर 4 साल में कमाए 1.10 लाख करोड़
केंद्र सरकार ने Smartphone PLI स्कीम के तहत 4 साल में 5,800 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. सब्सिडी की इस रकम के बदले स्मार्टफोन इंडस्ट्री से सरकार को 1.10 लाख करोड़ रुपये की आय हो चुकी है. योजना के लक्ष्य के मुताबिक स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है.
स्मार्टफोन इंडस्ट्री ने सरकार से मिली सब्सिडी के बदले सरकार को 19 गुना ज्यादा राजस्व दिया है. पिछले 4 साल में स्मार्टफोन के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव (पीएलआई) स्कीम पर सरकार ने करीब 5,800 करोड़ रुपये खर्च किए. इसके बदले इंडस्ट्री से सरकार को 1.10 लाख करोड़ रुपये की आय हुई है. एपल और सैमसंग जैसी बड़ी कंपनियों ने इस योजना के तहत भारत में उत्पादन बढ़ाया है. इससे निर्यात और नौकरियों को बढ़ावा मिल रहा है.
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान स्मार्टफोन इंडस्ट्री ने 12.55 लाख करोड़ रुपये के सामान का उत्पादन किया. ICEA ने पिछले सप्ताह वित्त मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा कि सरकार ने प्रोत्साहन के तौर पर 5,800 करोड़ रुपये वितरित किए. वहीं, उद्योग ने सरकारी खजाने में 1.10 लाख करोड़ रुपये का योगदान दिया.
पीएलआई देकर टैक्स बढ़ाया
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि स्मार्टफोन उद्योग ने 4 वर्षों के दौरान मोबाइल पार्ट्स और कंपोनेंट्स पर 48,000 करोड़ रुपये का शुल्क चुकाया, जबकि जीएसटी के तौर पर 62,000 करोड़ रुपये जमा कराए. सरकार ने अप्रैल 2020 में पीएलआई योजना की घोषणा के साथ ही मोबाइल फोन पर जीएसटी को 12% से बढ़ाकर 18% कर दिया था.
इन कंपनियों को मिला लाभ
स्मार्टफोन पीएलआई योजना के तहत 10 कंपनियों को चुना गया. इनमें 5 वैश्विक और 5 स्थानीयकंपनियों को कुल 40,951 करोड़ रुपये की छूट के लिए चुना गया. बाद में इसे घटाकर 38,601 करोड़ रुपये कर दिया गया. उत्पादन, फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन, पेगाट्रॉन और सैमसंग ग्लोबल कंपनियां हैं, जिन्हें इसके लिए चुना गया है. हालांकि, पहले साल में सैमसंग मानकों पर खरी नहीं उतरी, तो उसे सब्सिडी नहीं मिली. वहीं, भारतीय कंपनियों में सिर्फ डिक्सन टेक एक कंपनी है, जो पीएलआई की पात्रता हासिल कर पाई है.
ये कंपनियां हुईं दायरे से बाहर
फॉक्सकॉन की इकाई राइजिंग स्टार, चीन शाओमी योजना शुरू होने के बाद से लक्ष्यों को हासिल करने में विफल रहीं. भारतीय कंपनियों में लावा इंटरनेशनल, ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स, पैडगेट (माइक्रोमैक्स) और यूटीएल नियोलिंक जैसी कंपनियां प्रोत्साहन पाने के लिए लक्ष्य पूरा करने में कामयाब नहीं हुई हैं.
9 लाख को रोजगार मिला
आईसीईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि योजना के लॉन्च होने के बाद मोबाइल फोन उद्योग ने स्मार्टफोन इकोसिस्टम में लगभग 300,000 प्रत्यक्ष और 600,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा की हैं. यह उद्योग मध्यम-कुशल, ब्लू-कॉलर नौकरियों में महिलाओं के लिए सबसे बड़ा रोजगार का स्रोत भी बन गया है.
स्मार्टफोन निर्यात बढ़ा
4 साल की पीएलआई अवधि के दौरान स्मार्टफोन का कुल निर्यात 2,87,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इस तरह भारत से निर्यात होने वाली वस्तुओं में स्मार्टफोन अब तीसरे सबसे बड़ी वस्तु है. जबकि, 2019 में यह 23वें स्थान पर होता था.