महाराष्ट्र में बढ़ सकती है स्टाम्प ड्यूटी, सरकार के खजाने में होगी भारी बढ़ोतरी
महाराष्ट्र में स्टाम्प ड्यूटी बढ़ सकती है. सरकार के तरफ से ऐसा दस्तावेजों में सरलता और सटीकता लाने और व्यापार करने में आसानी लाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. इससे सालाना 100-150 करोड़ रुपये राजस्व में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. स्टाम्प ड्यूटी राज्य सरकार द्वारा संपत्ति की बिक्री पर लगाया जाने वाला टैक्स है.
महाराष्ट्र में स्टाम्प ड्यूटी बढ़ने के आसार है. इसकी मदद से महाराष्ट्र सरकार के सालाना कमाई में 150 करोड़ रुपये बढ़ोतरी हो सकती है. सरकार के तरफ से ऐसा दस्तावेजों में सरलता और सटीकता लाने और व्यापार करने में आसानी लाने के लिए ऐसा किया जा रहा है.
इससे सालाना 100-150 करोड़ रुपये राजस्व में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. स्टाम्प शुल्क किसी लेन-देन पर नहीं, बल्कि एक उपकरण पर लगाया जाता है. इनमें कर्ज स्वीकृति, प्रशासनिक बॉड, एडॉप्शन डीड, हलफनामा आदि शामिल हैं.
कंपनियों के मर्जर, पुनर्गठन, परिसमापन या विभाजन के लिए न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के मामले में, दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए शुल्क मात्र 500 रुपये है. वहीं राजस्व विभाग ने अब प्रस्ताव दिया है कि 5 लाख रुपये तक के लिए यह 500 रुपये होगा और 5 लाख रुपये से अधिक के न्यायालय के फैसलों के लिए यह बाजार मूल्य का 0.3% होगा.
इसके अलावा, जिन दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए 100 रुपये स्टांप शुल्क लिया जाता है, उन्हें बढ़ाकर 500 रुपये किया जाएगा. कंपनियों के एसोसिएशन के लेख पर स्टांप शुल्क 0.2% से बढ़कर 0.3% या 50 लाख रुपये से अधिकतम 1 करोड़ रुपये हो जाएगा.
क्या होता है स्टांप ड्यूटी
स्टाम्प ड्यूटी राज्य सरकार द्वारा संपत्ति की बिक्री पर लगाया जाने वाला टैक्स है. इसे भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा 3 के तहत रखा गया है. रजिसट्रेशन के वक्त स्टाम्प ड्यूटी की अवधि संपत्ति के कीमत पर आधारित होगी. यह राज्य के आधार पर अलग-अलग होती है. यहां तक नया या पुराना घर पर भी डिपेंड करता है. अचल संपत्ति खरीदने वक्त स्टाम्प ड्यूटी एक अतिरिक्त लागत होती है.