62 फीसदी की अंग्रेजी उच्चारण को लेकर चिंता, कुछ ‘लुक्स’ से परेशान, Visa टेस्ट में किन बातों से लगता है डर

एक सर्वे में पाया गया है कि भारत में 62% से अधिक लोग अपने भारतीय उच्चारण को लेकर चिंतित हैं कि यह उनकी अंग्रेजी परीक्षा के स्कोर को खराब कर सकता है. इसके अलावा, 74% से अधिक लोगों को लगता है कि वे कैसे दिखते हैं इससे भी उनका स्कोर प्रभावित हो सकता है.

Visa टेस्ट में भारतीयों को किस बात का लगता है डर Image Credit: Freepik

Visa के लिए जब भी कोई जाता है तो उसका अंग्रेजी भाषा का टेस्ट होता है. इस दौरान कई लोग घबराए हुए रहते हैं कि उनकी अंग्रेजी साफ है या नहीं, वो दिख कैसे रहे हैं, यहां तक की कई लोग इस बात से भी परेशान होते हैं कि वे गोरे है या काले. हाल में एक वैश्विक शिक्षा कंपनी Pearson ने अपनी “इंग्लिश लैंग्वेज लर्निंग” के तहत एक सर्वे किया, जिसमें यह सामने आया कि भारत में 62% से अधिक लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनका भारतीय उच्चारण यानी एक्सेंट उनकी अंग्रेजी परीक्षा के स्कोर को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है.

इसके अलावा, 74% से अधिक का मानना है कि जब कोई उनका टेस्ट लेता है तो उन्हें इस बात की चिंता होती है कि वे दिख कैसे रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनका स्कोर को प्रभावित होगा.

भेदभाव को लेकर डर

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, कई छात्र यह सवाल पूछते हैं कि क्या ब्रिटिश या अमेरिकन उच्चारण अपनाने से उनका स्कोर बेहतर होगा. इससे पता चलता है कि कई लोगों को लगता है कि अंग्रेजी परीक्षा में उच्चारण को लेकर भेदभाव हो सकता है.

Pearson Test of English (PTE) के इस सर्वे में कई चिंताएं सामने आईं, खासतौर पर यह कि क्या परीक्षार्थियों को उनके रूप, उच्चारण और पहनावे के आधार पर आंका जाता है, बजाय उनकी वास्तविक भाषा कौशल के. यह सर्वे 1,000 भारतीय परीक्षार्थियों पर किया गया, जिनमें से कुछ ने पहले परीक्षा दी थी, जबकि कुछ इसे देने की योजना बना रहे थे.

सर्वे में और क्या सामने आया

  • 59% लोगों का मानना है कि गोरे लोगों को प्राथमिकता दी जाती है.
  • 64% लोग सोचते हैं कि उनके कपड़े उनके बारे में गलत धारणा बना सकते हैं. महाराष्ट्र में यह चिंता सबसे ज्यादा देखी गई, जहां 67% परीक्षार्थियों का मानना है कि उनके पहनावे से उनकी छवि प्रभावित हो सकती है.
  • 70% लोगों का मानना है कि उच्च पदों पर काम करने वाले लोगों को अधिक सम्मान दिया जाता है. यह राय महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में अधिक देखी गई.
  • 63% लोगों का मानना है कि अगर वे भारतीय उच्चारण में बदलाव करें, तो उनका स्कोर बेहतर हो सकता है. यह सोच आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में अधिक देखी गई.

    क्या लुक्स से परीक्षा के नतीजों पर असर पड़ता है?

    • पंजाब में 77% परीक्षार्थियों का मानना है कि वो कैसे दिख रहे हैं ये बात उनके स्पीकिंग टेस्ट के स्कोर को प्रभावित कर सकती है.
    • 64% लोगों का मानना है कि एक खास उच्चारण से परीक्षा में अच्छे अंक मिल सकते हैं.
    • 35% परीक्षार्थियों (विशेष रूप से तमिलनाडु में) का मानना है कि अमेरिकन उच्चारण अपनाने का फायदा हो सकता है.
    • 21% परीक्षार्थियों (खासकर उत्तर प्रदेश में) को लगता है कि ब्रिटिश उच्चारण से फायदा हो सकता है.
    • 76% परीक्षार्थियों का मानना है कि फॉर्मल कपड़े पहनने से वे अधिक “प्रोफेशनल” दिखते हैं और इससे उनके स्कोर में सुधार हो सकता है.

    दुनिया में अंग्रेजी के मामले में कहां खड़ा है भारत

    पिछले महीने जारी हुई पियर्सन की ग्लोबल इंग्लिश प्रोफिशियंसी रिपोर्ट में पता चलता है कि भारत में अंग्रेजी बोलने की क्षमता वैश्विक औसत से बेहतर है.

    • भारत का औसत अंग्रेजी कौशल स्कोर 52 है, जो वैश्विक औसत 57 से कम है.
    • लेकिन भारत की अंग्रेजी बोलने की दक्षता का स्कोर 57 है, जो कि वैश्विक औसत 54 से थोड़ा बेहतर है.
    • दिल्ली भारत में अंग्रेजी दक्षता में सबसे आगे है, इसके बाद राजस्थान आता है.