बेगमाबाद से मोदीनगर तक का सफर, कैसे बदला इस इंडस्ट्रियल सिटी का नाम और नसीब

बेगमाबाद से मोदीनगर तक का सफर एक रोचक इतिहास को समेटे हुए है. गुजरमल मोदी की दूरदर्शिता और मेहनत ने इस क्षेत्र को औद्योगिक केंद्र में बदलकर नई नाम और पहचान दी..,

बेगमबाद से कैसे बना ये शहर मोदीनगर Image Credit: Modinagar Official FB

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में स्थित मोदीनगर अक्सर चर्चाओं में रहता है. कई लोगों को यह भ्रम है कि इस नाम का वास्ता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है जिसका सच्चाई से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है. मोदीनगर का इतिहास और नामकरण एक दिलचस्प कहानी है. यह शहर, जिसे आज हम मोदीनगर के नाम से जानते हैं पहले “बेगमाबाद” के नाम से जाना जाता था. बेगमाबाद की स्थापना नवाब जफर अली ने अपनी एक बेगम के नाम पर की थी.

नामकरण का बदलता इतिहास

1933 में पद्मभूषण राय बहादुर सेठ गुजरमल मोदी ने बेगमबाद को औद्योगिक हब के रूप में विकसित किया. उन्होंने यहां चीनी मिल की स्थापना की और बाद में साबुन, खाद्य तेल, लालटेन, और कपड़े जैसे कई उद्योग शुरू किए. इनकी फैक्टरी में बनी लालटेन की क्वालिटी जर्मनी के लालटेल के बराबर थी जो उस समय सबसे अच्‍छी मानी जाती थी. मोदी के मिल में बने सामान केवल देश में ही क्रांति का बिगुल नहीं फूंक रहे थे बल्कि विदेशों में भी इन आइटम की खूब चर्चाएं थी. सेठ गुजरमल मोदी के योगदान को यह देश हमेशा याद रखे इस उद्देश्य से शहर को “मोदीनगर” नाम दिया गया.

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औद्योगिक क्रांति का केंद्र

गुजरमल मोदी ने अपनी मेहनत और व्यापारिक कुशलता से इस क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र में बदल दिया. इनके बनाई चीजों ने देश के विकास में भी अहम भूमिका निभाई है. द्वितीय विश्व युद्ध के समय, यहां की फैक्ट्रियों में हल्के वजन की खाद्य सामग्री बनाई गई जो सैनिकों के लिए उपयोगी साबित हुई. स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने शरणार्थियों के लिए आवास और रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जिससे यह क्षेत्र तेजी से विकसित हुआ.

हालांकि, आज का मोदीनगर वैसा औद्योगिक केंद्र नहीं है जैसा गुजरमल मोदी ने इसे बसाया था.

आज भी देश में प्रमुख है मोदी ग्रुप

1963 तक, गुजरमल मोदी की व्यावसायिक दृष्टि ने मोदी समूह को एक प्रतिष्ठित नाम बना दिया. आज, Modi Group विभिन्न क्षेत्रों में एक्टिव है. यह Marlboro, Four Square, और Red & White जैसी सिगरेट बनाता है और Pan Vilas जैसे ब्रांड के पान मसाले का निर्माण करता है. इसके अलावा, समूह रिटेल सेक्टर में “24×7” नाम से स्टोर्स संचालित करता है और कन्फेक्शनरी के सेक्टर में भी सक्रिय है.

मोदी परिवार में भी बंटवारे का दंश

मोदी ग्रुप, भारत के उन पहले कारोबारी परिवारों में से एक है जहां पारिवारिक कलह ने समूह को दो हिस्सों में बांट दिया. 1980 के दशक के मध्य में, मोदी समूह का व्यवसाय गुजरमल मोदी और उनके भाई केदार नाथ मोदी के परिवारों परिवारों में बंट गया. गुजरमल मोदी की विरासत को उनके बेटे के. के. मोदी ने आगे बढ़ाया. के. के. मोदी के सबसे बड़े बेटे ललित मोदी ने भी इस धरोहर को आगे ले जाने में अहम भूमिका निभाई है.