बिना टिकट कर सकते हैं इस ट्रेन में सफर, जानें- कहां से कहां तक चलती है

भारत में एक ऐसी ट्रेन है जिसमें आप बिना टिकट के यात्रा कर सकते है. जी हां आपने बिल्कुल सही पढ़ा 'बिना टिकट के यात्रा'. दरअसल, यह ट्रेन भाखड़ा-नांगल ट्रेन है, जो 75 साल पुरानी है और आज भी अपने विशेष सफर के लिए जानी जाती है.

इस ट्रेन में यात्रा करने पर नहीं लगता है कोई टिकट Image Credit: Money 9

भारतीय रेल से यात्रा करने वालों की तादाद काफी अधिक है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि यह सेफ और सस्ता है. अगर मै कहूं की भारत में एक ऐसी ट्रेन है जिसमें आप बिना टिकट के यात्रा कर सकते है. जी हां आपने बिल्कुल सही पढ़ा ‘बिना टिकट के यात्रा’. दरअसल, यह ट्रेन भाखड़ा-नांगल ट्रेन है, जो 75 साल पुरानी है और आज भी अपने विशेष सफर के लिए जानी जाती है. यह ट्रेन हर रोज 13 किलोमीटर का सफर तय करती है.

इन नदियों से होकर गुजरती है ट्रेन

यह ट्रेन सतलुज नदी, शिवालिक पहाड़ियों, तीन सुरंगों और छह स्टेशनों से होकर गुजरती है. इसका सफर नांगल से शुरू होकर भाखड़ा बांध पर खत्म होता है. इस दौरान यह ट्रेन गोबिंद सागर झील और बांध के जलाशय के खूबसूरत नजारे का लुफ्त उठाने का शानदार मौका देती है.

शुरुआती दिनों में यह ट्रेन भाप इंजन से चलती थी, लेकिन साल 1953 में इसे डीजल इंजन में बदल दिया गया था. भाखड़ा-नांगल ट्रेन सिर्फ एक सफर नहीं, बल्कि इतिहास और प्रकृति के संगम का अनुभव है.

ये भी पढे़: ये है 237 साल पुराना साबुन, लक्स-लाइफ बाय भी नहीं तोड़ पाए बादशाहत

फ्री टिकट की कहानी

चलिए इस बिना टिकट वाले ट्रेन की कहानी शुरुआत से जानते है. बात है साल 1948 की. इस ट्रेन को भाखड़ा-नांगल बांध के निर्माण के लिए शुरू किया गया था. उस वक्त इसका उद्देश्य भारी मशीनरी और लेबर को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना था. लेकिन अब यह ट्रेन पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण बन चुकी है. हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बीच प्राकृतिक सुंदरता का यह संगम लोगों को खूब पसंद आता है.

भारतीय रेलवे नहीं कोई और करता है इसकी संचालन

लाइवमिंट की एक रिपोर्ट मुताबिक, इस ट्रेन को भारतीय रेलवे द्वारा संचालन नहीं किया जाता है. इसे भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) द्वारा किया जाता है. इसमें न तो टिकट चेकिंग स्टाफ होता है और न ही यात्रियों से किसी तरह का फीस लिया जाता है.

यात्रा के दौरान पर्यटकों को भाखड़ा बांध के निर्माण, इसके महत्व और ग्रीन एनर्जी में इसके योगदान की जानकारी दी जाती है. लकड़ी के डिब्बों और पुराने दौर की झलक दिखाते इस ट्रेन का सफर परिवारों, इतिहास प्रेमियों और नई चीजों का अनुभव चाहने वालों के लिए बेहद खास है.

ये भी पढ़े: अडानी का क्या था पहला बिजनेस… कहां से मिले थे 5 लाख, जानें कैसे देने लेगे अंबानी को टक्कर