CRISIL Thali Price: टमाटर-प्याज के घटे दाम, फरवरी में सस्‍ती हो गई वेज और नॉन-वेज थाली

फरवरी में खाने की थाली की कीमत में 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे आम आदमी को राहत मिली है. लेकिन आखिर यह बदलाव क्यों हुआ? क्या सब्जियों की कीमतें आगे भी गिरेंगी? जानिए इस रिपोर्ट में पूरी जानकारी.

शाकाहारी थाली का बिगड़ा बजट Image Credit: RUSS ROHDE/Connect Images/Getty Images

Crisil Thali Price in Feb: महंगाई से जूझ रहे आम आदमी के लिए राहत भरी खबर है. फरवरी में शाकाहारी (Veg) और मांसाहारी (Non-Veg) थाली की कीमतों में 5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के रिपोर्ट के मुताबिक, यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों और ब्रॉयलर (चिकन) की कीमतों में कमी के कारण हुई है.

वेज और नॉन वेज थाली क्यों सस्ती हुई?

क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिसिस की ‘रोटी राइस रेट’ (RRR) रिपोर्ट के अनुसार, प्याज के कीमतों में 7 फीसदी, आलू में 17 फीसदी और टमाटर में 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. यह गिरावट नई फसल की आवक बढ़ने के कारण हुई है. टमाटर की कीमत फरवरी में 28 फीसदी तक गिरकर 23 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जो पिछले साल इसी समय 32 रुपये थी. इसके पीछे आवक में 20% की वृद्धि प्रमुख कारण रही. वहीं, एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में भी कमी आई, जिससे वेज थाली की लागत कम हुई.

नॉन-वेज थाली की लागत में गिरावट का मुख्य कारण ब्रॉयलर चिकन की कीमतों में 5 फीसदी की कमी रही. दक्षिण भारत में बर्ड फ्लू की आशंका के कारण चिकन की मांग घटी, जिससे कीमतों में गिरावट आई.

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हालांकि, साल-दर-साल तुलना की जाए तो नॉन-वेज थाली की कीमत 6% बढ़ी है. इसकी वजह ब्रॉयलर चिकन की कीमतों में 15% की बढ़ोतरी बताई जा रही है. ब्रॉयलर की लागत में बढ़ोतरी का एक और कारण मकई (मक्का) के दामों में 6 फीसदी की वृद्धि है, जिससे मुर्गियों के चारे की लागत बढ़ गई.

कैसे तय होती है थाली की कीमत?

क्रिसिल के रिपोर्ट के मुताबिक, थाली की औसत लागत उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में मौजूद इनपुट कीमतों के आधार पर तय की जाती है. इसमें अनाज, दालें, चिकन, सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल और एलपीजी गैस की कीमतों को शामिल किया जाता है.