आवेदन मंगाकर चुना गया था रुपये का सिंबल, जिसे अब तमिलनाडु की सरकार ने हटा दिया

तमिलनाडु सरकार ने बजट 2025 से ₹ प्रतीक को हटाकर उसकी जगह तमिल लिपि में मुद्रा का उल्लेख करने का फैसला किया है. यह निर्णय केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध से जुड़ा माना जा रहा है. आखिर रुपये के इस राष्ट्रीय प्रतीक को किसने बनाया और तमिलनाडु सरकार ने इसे क्यों हटाया, पढ़ें पूरी जानकारी आर्टिकल में.

क्या है ₹ का इतिहास? Image Credit: Money9 Live

History of Rupee Sign: तमिलनाडु सरकार ने अपने बजट 2025 से रुपये (₹) के आधिकारिक प्रतीक को हटाने और इसे तमिल लिपि में दर्शाने का फैसला किया है. यह पहली बार है जब किसी राज्य ने राष्ट्रीय मुद्रा प्रतीक को अस्वीकार किया है. यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और हिंदी थोपने के आरोपों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच जारी तनातनी के बीच आया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ₹ का यह प्रतीक आखिर किसने और क्यों बनाया था?

कैसे अस्तित्व में आया ₹ का प्रतीक?

भारतीय रुपये के आधिकारिक प्रतीक (₹) को 15 जुलाई 2010 को भारत सरकार द्वारा अपनाया गया था. इससे पहले, रुपये को “Rs” या “INR” के रूप में दर्शाया जाता था. साल 2009 में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रुपये के लिए एक विशिष्ट पहचान बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने एक ऐसा प्रतीक बनाने की बात कही जो भारतीय संस्कृति और आर्थिक मजबूती को दर्शाए. इसके बाद सरकार ने एक ओपन कॉम्पिटिशन आयोजित किया, जिसमें केवल भारतीय नागरिकों को भाग लेने की अनुमति दी गई थी. इस प्रतियोगिता में हजारों सैंपल में से IIT बॉम्बे के डिजाइनर डी. उदय कुमार के डिजाइन को चुना गया. उनका डिजाइन देवनागरी अक्षर ‘र’ (Ra) और रोमन कैपिटल ‘R’ का मेल था, जिसमें ऊपर दो समानांतर रेखाएं थीं, जो भारतीय तिरंगे और आर्थिक समानता के प्रतीक के रूप में देखी जाती हैं.

₹ प्रतीक को आधिकारिक रूप से अपनाने के बाद, इसे नोटों और सिक्कों पर शामिल किया गया. पहली बार ₹ प्रतीक वाले सिक्के 8 जुलाई 2011 को प्रचलन में आए. इसके बाद धीरे-धीरे सभी भारतीय करेंसी नोटों और डिजिटल लेन-देन में इस प्रतीक को शामिल किया गया.

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तमिलनाडु सरकार ने क्यों हटाया ₹ प्रतीक?

राज्य सरकार का आरोप है कि NEP के तहत हिंदी को जबरदस्ती थोपा जा रहा है. तमिलनाडु सरकार तीन-भाषा फॉर्मूला को लागू करने से इनकार कर रही है, जिसके कारण केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के तहत 573 करोड़ रुपए की सहायता रोक दी. इस फैसले को लेकर राजनीतिक बहस तेज हो गई है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि DMK सरकार तमिल गौरव और भाषा की आड़ में राजनीति कर रही है.