जुलाई के मुकाबले थोक महंगाई में आई कमी, सालाना आधार पर महंगे हुए गेहूं, दाल और अनाज

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से 17 सितंबर यानी सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अगस्त महीने में थोक महंगाई जुलाई के मुकाबले घटकर 1.31 फीसदी पर आ गई है, जबकि जुलाई में यह 2.04 फीसदी थी.

अगस्‍त में घटी थोक महंगाई दर Image Credit: freepik

सब्जियों समेत खाने-पीने की दूसरी चीजों के महंगे होने से अगस्त महीने में रिटेल महंगाई भले ही बढ़ गई हो, लेकिन थोक महंगाई में भी बड़ी राहत मिली है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से 17 सितंबर यानी सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अगस्त महीने में थोक महंगाई जुलाई के मुकाबले घटकर 1.31 फीसदी पर आ गई है, जबकि जुलाई में यह 2.04 फीसदी थी. हालांकि बीते साल से तुलना करें तो इस साल अगस्‍त में थोक महंगाई में इजाफा हुआ है. दाल और गेहूं समेत अनाज के दाम बढ़ गए हैं.

WPI इंडेक्‍स के मुताबिक जुलाई 2024 की तुलना में अगस्त, 2024 में खनिजों के दाम (-2.66%), कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस (-1.84%), और खाद्य पदार्थों (-1.83%) की कीमतों में कमी आई है. हालांकि बीते महीने के मुकाबले अगस्‍त 2024 में नॉन फूड आइटम्‍स (1.65%) की कीमत में वृद्धि हुई है.

बीते साल की तुलना में ये चीजें हुई महंगी

इंडेक्‍स के मुताबिक सालाना आधार पर महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है. साल 2023, अगस्‍त में जहां अनाज (6.63), गेहूं (4.26), दाल (10.39), प्‍याज (34.12) पर थे. जबकि साल 2024 अगस्‍त में इन चीजों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस साल अगस्‍त में अनाज (8.44), गेहूं (7.28), दाल (18.5), प्‍याज (65.7) पर है.

RBI का क्‍या था अनुमान?

RBI ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रिटेल महंगाई का अनुमान 4.5% रखा था. हाल ही में हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग के दौरान RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस अनुमान को अपरिवर्तित रखा था. उन्‍होंने कहा था कि महंगाई कम हो रही है, लेकिन इसकी रफ्तार अभी धीमी और असमान है. भारत की महंगाई और ग्रोथ ट्रैजेक्टरी संतुलित तरीके से आगे बढ़ रही है, लेकिन इसे काबू में रखने के लिए सतर्क रहना होगा और इस पर नजर बनाए रखनी होगी. इसमें खाद्य महंगाई एक अहम भूमिका में होगी.

रिटेल महंगाई में हुई थी बढ़ोतरी

थोक महंगाई के आंकड़े आने से पहले 12 सितंबर को रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी किए गए थे. जिसमें अगस्त महीने में रिटेल महंगाई में बढ़ोतरी देखने को मिली थी. अगस्त में खुदरा महंगाई दर 3.65 फीसदी रही, जो जुलाई में 3.60 फीसदी थी. इसमें 0.05 फीसदी का मामूली इजाफा देखने को मिला था. डेटा के मुताबिक सब्जियों के महंगे होने से अगस्त महीने में रिटेल महंगाई बढ़ी है.

कैसे मापते हैं महंगाई?

भारत में दो तरह की महंगाई होती है, पहला रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई. रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है. इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं. वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का मतलब उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से लेता है. महंगाई मापने के लिए मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 22.62% और फ्यूल एंड पावर 13.15% होती है. थोक महंगाई WPIके बढ़ने से आम आदमी की जेब पर इसका सीधा असर पड़ सकता है. थोक महंगाई बढ़ने से कंपनी की लागत बढ़ जाती है. ऐसे में नुकसान की भरपाई करने के लिए प्रोडक्‍ट निर्मात इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं, यानी वे सामाना का दाम बढ़ा देते हैं. जिससे लोगों को पहले के मुकाबले ज्‍यादा पैसे चुकाने होंगे.