महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों पर टिका है अडानी के ‘धारावी’ का फ्यूचर, जानें क्यों है खतरा
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है. लेकिन महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने इस प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुंबई की झुग्गी बस्ती धारावी जमकर सुर्खियों में रही. धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट को विपक्षी दलों ने मुद्दा बनाया और फिर ये राजनीतिक आकर्षण का सेंटर बन गया. मुंबई के बीच में करीब 600 एकड़ में फैली धारावी की झुग्गियों का रिडेवलपमेंट अडानी समूह कर रहा है. भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है. लेकिन महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने इस प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. अपने चुनावी भाषणों में उन्होंने कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वे अडानी समूह को दिए गए टेंडर को रद्द कर देंगे. ऐसे में एक बड़ा सवाल सभी के सामने है कि क्या महाविकास अघाड़ी की सरकार आती है, तो धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट रद्द हो जाएगा.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी उद्धव ठाकरे का समर्थन किया था और कहा था. ठाकरे ने अपनी चुनावी रैलियों में कहा था कि अगर MVA की सरकार आती है तो हम पहली कैबिनेट बैठक में धारावी प्रोजेक्ट का टेंडर खत्म कर देंगे. राहुल गांधी ने कहा था कि ये प्रोजेक्ट मुंबई के नागरिकों के हितों के खिलाफ है.
अडानी समूह की हिस्सेदारी
धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (DRPPL) इस परियोजना को क्रियान्वित कर रही है. डीआरपी, स्लम पुनर्वास प्रोजेक्ट (SRA) के तहत महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा गठित एक विशेष निकाय है. DRPPL में अडानी समूह की 80 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि शेष हिस्सेदारी राज्य सरकार के पास है. 10 लाख से अधिक लोग धारावी की झुग्गियों में रहते हैं. आबादी बढ़ने के साथ ही एक मंजिला झुग्गियां चार मंजिल तक के असुरक्षित घरों में बदल गईं.
20,000 करोड़ का रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट
रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत 2024 में किए गए सर्वे में पहचाने गए वैध निवासियों को उसी क्षेत्र में मुफ्त घर देने की योजना है. जबकि अन्य लोगों को राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई जमीन पर मुंबई के दूसरे हिस्सों में स्थानांतरित किया जाना है. प्रोजेक्ट की लागत 20,000 करोड़ रुपये है. अडानी ग्रुप ने 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगाकर टेंडर अपने नाम किया था.
उद्धव ठाकरे ने खोल रखा है मोर्चा
उद्धव ठाकरे धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट को लेकर लगातार एकनाथ शिंदे की सरकार पर हमलावर हैं. उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि मेरे कार्यकाल में अडानी का टेंडर कैंसिल हुआ है, क्योंकि उनके इंवेस्टर सामने नहीं आ रहे थे. उनका कहना था कि धारावी का रिडेवलपमेंट होना चाहिए और हमारी सरकार आने पर इसे हम करेंगे. अडानी के टेंडर को रद्द करेंगे और धारावी के लोगों को उसी इलाके में घर दिया जाएगा, जहां वो रहते हैं.
1999 में आया था रिडेवलप करने का प्रस्ताव
साल 1999 में महाराष्ट्र में जब बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन की सरकार थी, तब पहली बार धारावी को रिडेवलप करने का प्रस्ताव आया था. फिर 2003-04 में राज्य सरकार धारावी का रिडेवलपमेंट प्लान लेकर आई थी. लेकिन ये प्रोजेक्ट जमीन पर नहीं उतर सका. फिर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी. इसके बाद से विपक्ष राज्य सरकार पर इस प्रोजेक्ट को लेकर हमलावर है.