Work-Life Balance: आराम को हल्के में न लें, 90 घंटे काम की बहस पर बोले रिशाद प्रेमजी
इन दिनों देश में वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर बहस छिड़ी है. 70 से 90 घंटे तक काम की सलाह, बॉस के बेतुके फरमान से लेकर तनाव और अवसाद से पीड़ित कर्मचारियों की आत्महत्या के मामले सामने आ चुके हैं. बहरहाल, विप्रो चेयरमैन ने कहा है कि अच्छे काम के लिए आराम भी जरूरी है.
देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में शामिल विप्रो के चेयरमैन रिशाद प्रेमजी का कहना है कि वे वर्क-लाइफ बैलेंस के बड़े समर्थक हैं. उनका कहना है कि अच्छा काम करने के लिए आराम बेहद जरूरी है. टेक जायंट इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की तरफ से देश के तेजी से विकास के लिए युवाओं को 70 घंटे काम करने की सलाह के बाद शुरू हुई यह बहस पिछले दो साल से चली आ रही है. वहीं, पिछले दिनों L&T के चेयमैन एसएन सुब्रमण्यम ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा था कि 90 घंटे काम करना चाहिए.
बहरहाल, देशी चौथी सबसे बड़ी आइटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन रिशाद प्रेमजी का कहना है कि काम के लिए अच्छी हालत में बने रहने के लिए यह जरूरी है कि आराम को भी महत्व दिया जाए. दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) में शिरकत करने पहुंचे प्रेमजी ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि वर्क लाइफ बैलेंस बहुत जरूरी है. इससे यह तय होता है कि जब आप काम पर जाएं, तो वहां दिमाग को शांत रखकर काम कर सकें. न कि वहां 10, 20, 30 या 70 घंटे बिताकर आएं. उन्होंने कहा कि वे वर्क-लाइफ बैलेंस के प्रखर समर्थक हैं.
सबके लिए एक जैसी परिभाषा नहीं
उन्होंने कहा कि वर्क-लाइफ बैलेंसी की परिभाषा सबके लिए एक जैसी नहीं हो सकती है. सबकी अपनी जरूरतें और हालात यह तय करते हैं. लेकिन, काम के लिए पूरी तरह तैयार होकर आने के लिए यह जरूरी है कि आप पर्याप्त आराम करें. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह बहुत जरूरी है कि काम के लिए जरूरी चीजों और आराम के लिए पर्याप्त वक्त निकालें, ताकि काम के लिए एकदम तैयार रहें. इसके लिए अच्छी तरह से आराम करना जरूरी है.” इसके साथ ही उन्होंने कहा, आराम का सबका अपना तरीका हो सकता है.
विप्रो में सिकनेस लीव नहीं
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि विप्रो में सिकनेस लीव को खत्म कर दिया गया है. इसके बजाय वेलनेस डे का कंसेप्ट शुरू किया गया है, ताकि लोग तंदरुस्ती के साथ तरोताजा होकर पूरे जोश के साथ काम पर लौटें. यह बहुत जरूरी है. रिशाद प्रेमजी अकेले नहीं हैं, जिन्होंने वर्क-लाइफ बैलेंस के पक्ष में बात की है. उनसे पहले महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा भी कह चुके हैं कि काम की क्वांटिटी मायने नहीं रखती, बल्कि क्वालिटी मायने रखती है.
आनंद महिंद्रा ने क्या कहा
आनंद महिंद्रा ने एक कार्यक्रम में एसएन सुब्रमण्यम के “90 घंटे काम” और “बीबी को घूरने” वाले बयान पर चुटकी लेते हुए कहा था कि मेरी पत्नी बहुत खूबसूरत है और उसे देखते रहना मुझे बहुत पंसद है. इसके साथ ही कहा था कि अगर आप घर पर या दोस्तों के साथ समय नहीं बिता रहे हैं और आप पढ़ नहीं रहे हैं और आपके पास चिंतन करने का समय नहीं है, तो आप काम पर सही फैसले लेने में कैसे मदद कर सकते हैं.