बीमा कंपनियों के पास पड़े हैं 21000 करोड़, कोई नहीं दावेदार, ऐसे करें चेक
जीवन बीमा कंपनियों के पास वित्त वर्ष 2024 की शुरुआत में 22,237 करोड़ रुपये बिना दावे के थे, इसको लेकर के कंपनियों ने एक मुहिम चलाई जिसके बाद इसमें 1018 करोड़ की कमी आई है. इसके बावजूद कंपनियों के पास अभी भी 21,219 की राशि बची है.
जीवन बीमा कंपनियों के पास वित्त वर्ष2024 की शुरूआत में लगभग 22, 237 करोड़ रुपये पर कोई दावा करने वाला नहीं था. इसके लिए कंपनियों में एक मुहिम भी चलाई ताकि उनके पास पड़े पैसों को पॉलिसीधारक को दिया जा सके. जिसके बाद इसमें 1, 018 करोड़ की कमी आई है. इतने पैसों पर कोई दावा नहीं किए जानें के पीछे एक बड़ी वजह बीमा कंपनियों के नियम है जिसके तहत परिवार के सदस्यों के अलावा नॉामिनी नियुक्त व्यक्ति को पैसा देने में कंपनियां एक लंबी और पेचीदा प्रक्रिया का पालन करती है और कई बार इनके दावों को खारिज कर देती है.
ये है प्रमुख कारण
टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्ट के अनुसार, बीमा कंपनियों को IRDAI ने कहा है कि वे ग्राहकों से नियमित रूप से संपर्क करें और उनकी जानकारी अपडेट रखें. इसमें बैंक डिटेल्स, KYC और Re-KYC शामिल हैं. कंपनियों को कंज्यूमर का पता लगाने के लिए क्रेडिट ब्यूरो और मीडिया का उपयोग करने और एजेंटों को सटीक जानकारी का पता लगाने के कहा है. लेकिन फिर भी, कई बार नामांकित व्यक्ति की जानकारी अपडेट न होने के कारण बीमा का पैसा क्लेम नहीं हो पाता. इसकी वजह जागरूकता की कमी, परिवार में बदलाव या नामांकित व्यक्ति के न होने जैसी स्थिति में परेशानी होती है.
क्या कह रहे एक्सपर्ट
एक्सपर्ट का कहना है कि बीमा कंपनियों के नियम भी एक समस्या हैं, जिन्हें इंड्रस्ट्री लेवल पर हल करने की जरूरत है. बीमा कंपनियां नामांकित व्यक्तियों को पॉलिसी के फायदे और बदलावों की जानकारी देने के लिए सक्रिय रूप से संपर्क करें. एक्सपर्ट के अनुसार, जब पॉलिसीधारक के पास करीबी रिश्तेदार नहीं होते या किसी गैर-रिश्तेदार को नामांकित करते हैं, तो समस्याएं पैदा होती हैं. एक्सपर्ट का सुझाव है कि ऐसे मामलों में एक ट्रस्ट बनाकर उसमें ट्रस्टी को नामांकित किया जाए, ताकि पॉलिसी के लाभ सही ढंग से मिल सकें.
क्या है नामांकन से जुड़े नियम
एडलवाइस लाइफ ने अपने ब्लॉग में बताया कि अगर कोई गैर-परिवार का व्यक्ति नामांकित किया जाता है, तो कानूनी उत्तराधिकारी ही धन के असली मालिक होते हैं. उदाहरण के लिए, “अगर (A) अपनी प्रेमिका (C) को नामांकित करता है, तो वह (c) पैसे तो पा सकती है, लेकिन उसे (A) के कानूनी उत्तराधिकारियों, जैसे उसकी पत्नी या बच्चों, को देना होगा. इसी तरह समलैंगिक संबंधों में भी लोग अपने साथी को नामांकित कर सकते हैं, लेकिन इससे उन्हें धन का मालिकाना हक नहीं मिलता.
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LIC ने जारी की है एडवाइजरी
LIC ने पॉलिसीधारकों को सलाह दी है कि वे अपने करीबी रिश्तेदारों को ही नामांकित करें. उनका कहना है कि “किसी अजनबी को नामांकित नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें इन्शुरेबल इंटरेस्ट नहीं होता और इससे मोरल रिस्क हो सकता है.
LIC के अनक्लेम्ड डिपॉजिट की जांच कैसे करें?
- अगर कोई LIC पॉलिसीधारक अपने LIC अनक्लेम्ड डिपॉजिट या बकाया पॉलिसी ड्यूज की जांच करना चाहता है, तो वे इन आसान स्टेप का पालन कर सकते हैं.
- भारतीय जीवन बीमा निगम की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं.
- ‘ग्राहक सेवाएं’ टैब पर जाएं और ‘पॉलिसीधारकों की अनक्लेम्ड राशि’ पर क्लिक करें
- अनक्लेम्ड राशि की जांच करने के लिए अपना पॉलिसी नंबर, नाम, जन्म तिथि और पैन कार्ड डिटेल दर्ज करें.
- अगर ग्राहक को इस प्रक्रिया के दौरान कोई समस्या आ रही है, तो वे LIC शाखा कार्यालय जा सकते हैं या उनके ग्राहक सेवा नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.
LIC के अनक्लेम्ड डिपॉजिट का दावा कैसे करें?
- अनक्लेम्ड राशि का दावा करने के लिए, इन चरणों का पालन करें.
- LIC के अनक्लेम्ड डिपॉजिट का दावा कैसे करें?
- किसी भी LIC कार्यालय से आवश्यक फॉर्म प्राप्त करें या इसे आधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड करें.
- जरूरत पड़ने पर पॉलिसी दस्तावेज, प्रीमियम रसीदें और मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे आवश्यक दस्तावेज इकट्ठा करें.
- भरे हुए फॉर्म और दस्तावेजों को LIC कार्यालय में जमा करें
- एलआईसी टीम आपके दावे को जांच करेगी और स्वीकृति मिलने पर, आपको दावा न की गई राशि जारी करेगी.
- एलआईसी दावा न की गई जमाराशियों का दावा करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
एलआईसी दावा न की गई जमाराशियों का दावा करने के लिए पॉलिसीधारकों को निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होंगे.
- पैन कार्ड की स्व-सत्यापित प्रति
- डिपॉजिटरी प्रतिभागियों से अपडेट की गई क्लाइंट मास्टर सूची (सीएमएल) रिपोर्ट
- रद्द किए गए चेक की स्कैन की गई प्रति
- इसके अलावा, पॉलिसीधारकों की एलआईसी दावा न की गई जमाराशियों का भुगतान उनके संबंधित बैंक खातों के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से किया जाएगा, जैसा कि समय-समय पर आरबीआई द्वारा अनुमति दी जाती है.