Budget 2025: इंश्योरेंस पर टैक्स छूट बढ़ने से मजबूत होगा मध्यम वर्ग, बढ़ेगी समृद्धि
मोदी 3.0 का पहला पूर्ण बजट आने में अब एक सप्ताह से भी कम समय बचा है. तमाम लोगों की बजट से अलग-अलग तरह की उम्मीदें हैं. माना जा रहा है कि सरकार इनकम टैक्स में छूट दे सकती है. इसके लिए खासतौर पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी और 80डी के तहत राहत दी जा सकती है.
- सरबवीर सिंह
Budget 2025 में ऐसे उपायों की उम्मीद की जा रही है, जिससे खपत बढ़े और अर्थव्यवस्था में तेजी आए. जीडीपी की सुस्ती को दूर करने के लिए सरकार बजट में तमाम उपायों के साथ टैक्स छूट के ऐलान कर सकती है. खासतौर पर इंश्योरेंस पर टैक्स बढ़ाकर मध्यम वर्ग को मजबूती दी जा सकती है. इंश्योरेंस पर टैक्स छूट के लिहाज से बजट में होने वाले सुधारों के लिहाज से देखा जाए, तो इंश्योरेंस क्षेत्र में सबसे जरूरी सुधारों में से एक धारा 80सी और 80डी के तहत टैक्स नियमों में बदलाव की जरूरत है.
80सी के तहत फिलहाल डिडक्शन की लिमिट 1,50,000 रुपये है, जो पिछले कुछ सालों से बदली नहीं है. इस लिमिट में पीपीएफ और लोन जैसी दूसरी जरूरी चीजो को भी शामिल किया गया है, जिससे लोगों के पास अपने महत्वपूर्ण वित्तीय फैसलों के लिए कम गुंजाइश बचती है. इसे सुधारने के लिए, टर्म इंश्योरेंस जैसे जरूरी प्रोटेक्शन प्रोडक्ट के लिए एक अलग डिस्काउंट श्रेणी बनानी चाहिए. इससे टैक्सपेयर्स को परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए बेहतर टर्म प्लान लेने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
इसके अलावा अपने लिए, पति/पत्नी और आश्रित बच्चों के लिए खरीदे गए हेल्थ इंश्योरेंस पर 80डी के तहत डिडक्शन लिमिट बढ़ाकर 50,000 रुपये और सीनियर सिटीजन माता-पिता के लिए 1 लाख रुपये करने से हेल्थ इंश्योरेंस को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही स्वास्थ्य बचत खाता (HSA) एक नई अवधारणा है जो उपभोक्ताओं को पैसे बचाने के लिए प्रोत्साहित करती है, ताकि एक स्वास्थ्य कोष बनाया जा सके जिसका उपयोग इमरजेंसी के दौरान किया जा सके. इसे टैक्स फ्री बनाया जाना चाहिए और ग्राहकों को केवल हेल्थ केयर से जुड़े खर्च के लिए ही पैसे निकालने की अनुमति दी जानी चाहिए. यह लोगों को स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान देने और बढ़ते खर्चों को संभालने में मदद करेगा.
जीवन के बाद के चरणों में एक अच्छा वित्तीय भविष्य सुनिश्चित करने के लिए भारत में रिटायरमेंट प्लानिंग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. इस मुश्किल को दूर करने के लिए, इंश्योरेंस सेक्टर आगामी बजट से पेंशन प्रोडक्ट्स के लिए एनपीएस के समान टैक्स सुविधा की उम्मीद कर रहा है. अभी के नियमों के अनुसार, प्रिंसिपल और इंटरेस्ट दोनों को मिलाकर पूरी एनुअल इनकम पर टैक्स लगता है. अगर इन प्रोडक्ट्स से मिलने वाली एनुअल इनकम को टैक्स फ्री किया जाए, तो अधिक लोग इन्हें अपनाएंगे. हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस पर मौजूदा 18% जीएसटी दर में बदलाव को लेकर चर्चा चल रही है. अगर जीएसटी दर को संशोधित किया जाए, तो इसका लाभ सीधे ग्राहकों तक पहुंचेगा और इससे अधिक लोग इंश्योरेंस में निवेश करने के लिए प्रेरित होंगे.
नोट: लेखक पीबी फिनटेक के ज्वाइंट ग्रुप सीईओ हैं. लेख में प्रकाशित विचार उनके अपने हैं.