महिलाओं के टर्म इंश्योरेंस खरीदने में 80% की वृद्धि, बढ़ रही जिंदगी के बाद भी परिवार को संबल देने की चाहत
अक्सर कहा जाता है कि महिलाएं ईंट-पत्थर से बनी इमारत को घर और अनजान लोगों को परिवार बना देती हैं. बदलते वक्त के साथ अब वे अपने परिवार को घर की दीवारों के भीतर ही नहीं बाहर से भी मजबूत बना रही हैं. इससे भी आगे बढ़कर अब महिलाओं में जिंदगी के बाद भी परिवार को संबल देने की चाहत बढ़ रही है. महिलाओं की यह चाहत आंकड़ों में नजर आती है. आइए जानते हैं क्या कहते हैं महिलाओं की इस चाहत के बारे में आंकड़े.
महिलाएं घर संभालती हैं, नौकरी करते हुए परिवार को आर्थिक सहारा देती हैं. अब जिंदगी के बाद भी परिवार को संबंल देने की चाहत रखती हैं. उनकी यह चाहत आंकड़ों साफ दिखती हैं. आंकडे बताते हैं कि देश की महिलाओं में टर्म इंश्योरेंस खरीदने की प्रवृत्ति बढ़ी है. पिछले 2 साल में महिलाओं के टर्म इंश्योरेंस खरीदने में 80% की बढ़ोतरी हुई है. महिलाएं सिर्फ टर्म इंश्योरेंस ही नहीं खरीद रही हैं. बल्कि, ज्यादा कवर वाली पॉलिसी भी चुन रही हैं. बीते 2 वर्षों में उच्च कवर की पॉलिसी चुनने वाली महिलाओं की संख्या में 120% की वृद्धि हुई है.
कामकाजी नहीं गृहिणियां भी आगे
जीवन के बाद परिवार को आर्थिक संबंल देने के लिए कामकाजी महिलाओं के साथ ही गृहिणियां भी बराबरी से आगे बढ़ रही हैं. कामकाजी महिलाएं चाहे सैलेरीड हों या सेल्फ एम्प्लॉयड, टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदारने में आगे हैं. कामकाजी महिलाओं की तरफ से 55 से 60% पॉलिसियां खरीदी जा रही हैं. वहीं, 2 साल के दौरान महिलाओं की तरफ से खरीदी गईं पॉलिसियों में गृहिणियों की हिस्सेदारी 40% है. टर्म इंश्योरेंस खरीद में यह उनकी बढ़ी हुई दिलचस्पी को बयां करता है.
कामकाजी महिलाएं बना रहीं लंबी योजनाएं
पॉलिसीबाजार की एक रिपोर्ट के अनुसार, कामकाजी महिलाएं न केवल टर्म इंश्योरेंस लेने में आगे हैं, बल्कि वे खुद के लिए और परिवार के लिए लंबी वित्तीय योजनाएं बना रही हैं. इन योजनाओं को ध्यान में रखकर ही वे अपने लिए टर्म प्लान के तौर पर सोच-समझकर बड़ी कवर राशि भी चुन रही हैं. कामकाजी महिलाओं में 2 करोड़ या उससे ज्यादा का टर्म प्लान लेने चलन 2022 के बाद से अब दोगुना हो गया है.
गृहिणियों भी बढ़ा रहीं परिवार का हौसला
कामकाजी महिलाएं भले ही टर्म इंश्योरेंस की खरीदारी में आगे हैं, लेकिन गृहिणियां भी बाजार का एक बड़ा हिस्सा बनती जा रही हैं. यह गृहिणियां के बीच टर्म इंश्योरेंस को लेकर बढ़ती जागरूकता और इसके महत्व को दर्शाता है. यहां यह बताना भी जरूरी है कि गृहिणियों के लिए टर्म इंश्योरेंस की योजना सिर्फ 3 साल पहले शुरू की गई है. इस लिहाज से देखें तो वे महिलाएं जिनके पास पहले पुरुषों या कामकाजी महिलाओं जैसी वित्तीय स्वतंत्रता नहीं थी, वे भी अब टर्म इंश्योरेंस को अपना रही हैं.
इन 5 शहरों की महिलाएं अव्वल
दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों की महिलाएं टर्म इंश्योरेंस खरीद में सबसे आगे हैं. यह तथ्य इन शहरों में टर्म इंश्योरेंस के प्रति ज्यादा जागरूकता और बढ़ते वित्तीय समावेशन का संकेत देता है. टर्म इंश्योरेंस कराने के मामले में देश में सबसे ज्यादा 8-10% महिलाएं दिल्ली से हैं. इसके बाद हैदराबाद से 6-7%, बेंगलुरु से 6-7%, मुंबई से 4-5% और गुंटूर से 4-5% महिलाओं टर्म इंश्योरेंस खरीद में शामिल हैं. दिलचस्प बात यह है कि टॉप 5 शहरों में गुंटूर जैसे छोटे शहर की मौजूदगी बताती है कि महिलाओं के बीच टर्म इंश्योरेंस की लोकप्रियता बड़े शहरों से भी आगे बढ़ रही है.
25-30 की उम्र में सबसे ज्यादा टर्म इंश्योरेंस खरीद रहीं
टर्म इंश्योरेंस खरीदने वाली कामकाजी महिलाओं की औसत उम्र 31-32 साल है, जबकि गृहिणियों की औसत उम्र 30-31 साल है. वहीं, कामकाजी महिलाएं और गृहिणियां दोनों ही 25-34 साल की उम्र के बीच सबसे ज्यादा टर्म इंश्योरेंस खरीदती हैं. हालांकि, गृहिणियों में 25 साल से कम उम्र की महिलाओं का प्रतिशत थोड़ा ज्यादा है. इसका मतलब है कि 20 से 30 साल की महिलाएं टर्म इंश्योरेंस खरीदने में सबसे ज्यादा टर्म इंश्योरेंस खरीद रही हैं. अमूमन इस उम्र में वे अपने करियर और पारिवारिक जीवन की शुरुआत या स्थिरता की ओर बढ़ती हैं, जिससे वित्तीय योजना और सुरक्षा पर उनका ध्यान ज्यादा होता है.
आयु वर्ष में | कामकाजी महिलाएं | ग्रहणियां |
25 से कम | 7% | 12-13% |
25-29 | 26-28% | 26-28% |
30-34 | 31-33% | 32-35% |
35-39 | 18-20% | 17-18% |
40 से ज्यादा | 15-17% | 8-9% |
जोखिमों के प्रति महिलाओं में बढ़ रही सजगता
पॉलिसी बाजार में टर्म इंश्योरेंस के प्रमुख ऋषभ गर्ग कहते हैं कि महिलाएं टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदकर अपनी वित्तीय योजनाओं की जिम्मेदारी खुद उठा रही हैं. मोटे तौर पर यह दर्शाता है कि जोखिमों के प्रति महिलाओं में सजगता बढ़ रही है. ऋषभ कहते हैं कि महिलाओं को वे उचित टर्म कवर के साथ ही क्रिटिकल इलनेस के राइडर लेने की सलाह भी देते हैं. महिलाओं में कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए, इंश्योरेंस कंपनियों ने अपने क्रिटिकल इलनेस राइडर में ब्रेस्ट कैंसर, ओवरी कैंसर और सर्वाइकल कैंसर को भी शामिल कर रही हैं. ये राइडर शुरुआती चरणों में या कैंसर की प्रारंभिक पहचान होने पर भी वित्तीय मदद देते हैं. इसके अलावा कई इंश्योरेंस कंपनियां महिलाओं के लिए विशेष हेल्थ मैनेजमेंट सर्विस भी प्रदान कर रही हैं. इनमें टेली-ओपीडी परामर्श और डायबिटिज, थायराइड, लिपिड प्रोफाइल, कैल्शियम सीरम और ब्लड टेस्ट जैसी सेवाएं इनमें शामिल हैं.