क्या सुसाइड पर घर वालों को मिलता है बीमा का पैसा, जानें क्या कहते हैं नियम
अतुल सुभाष की आत्महत्या ने पूरे देश को हिला दिया है. अब यह बहस छिड़ गई है कि क्या पुरुष भी घरेलू हिंसा के शिकार होते हैं. लेकिन इस सवाल के बीच एक प्रश्न ऐसा भी है जिस पर बात होना जरूरी है. वह यह है कि क्या आत्महत्या करने पर भी इंश्योरेंस क्लेम मिलता है. जानें क्या है नियम.
Bengaluru Techie Atul Subhash: बेंगलुरू के इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने पूरे देश को हिला दिया है. अब यह बहस छिड़ गई है कि क्या पुरुष भी घरेलू हिंसा के शिकार होते हैं. लेकिन इस सवाल के बीच एक प्रश्न ऐसा भी है जिस पर बात होना जरूरी है. वह यह है कि क्या आत्महत्या करने पर भी इंश्योरेंस क्लेम मिलता है. जी हां, इसको लेकर बहुत सारे कंफ्यूजन हैं. लेकिन इसके लिए IRDAI ने दो तरह के नियम बना रखे हैं. एक नियम साल 2014 के पहले का है और दूसरा उसके बाद का, जिसके आधार पर बीमा कंपनियां पॉलिसीधारक की आत्महत्या के बाद इंश्योरेंस क्लेम पर फैसला लेती हैं.
क्या है नियम?
असल में बीमा कंपनियों के लिए 2014 के पहले और 2014 के बाद के नियमों के आधार पर नियम बने हुए हैं. इसी आधार पर कंपनियां इंश्योरेंस क्लेम के पैसे का निर्धारण करती हैं. साल 2014 से पहले के मामले में, टाटा AIG इंश्योरेंस कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, जनरल इंश्योरेंस के तहत अगर कोई व्यक्ति कार या होम लोन कवर के लिए लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेता है और पॉलिसीधारक 12 महीने के अंदर आत्महत्या करता था, तो उसके तहत नॉमिनी को कोई पैसा नहीं मिलता था. वहीं अगर 12 महीने के बाद पॉलिसीधारक आत्महत्या करता तब नॉमिनी को पॉलिसी के तहत तय की गई रकम नियम और शर्तों के आधार पर मिलती .
इसी तरह अगर किसी पॉलिसीधारक ने साल 2014 के बाद लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी ली है. और वह पॉलिसी खरीदने के पहले 12 महीने के अंदर आत्महत्या करता है तब नॉमिनी को, कुल भुगतान किए गए प्रीमियम की 80 फीसदी रकम मिलती है. जबकि 12 महीने के बाद अगर ऐसी स्थिति आती है तो नॉमिनी को पॉलिसी की पूरी रकम मिलती है.
इसी तरह यूलिप प्लान के तहत लिए गए कवर में 12 महीने के अंदर आत्महत्या की स्थिति में फंड वैल्यू के आधार पर पैसा मिलता है, जबकि 12 महीने के बाद इंश्योर्ड रकम मिलती है. हालांकि कंपनियां आत्महत्या के मामले में नियम-शर्त भी पॉलिसी लेते वक्त तय करती हैं.
किस प्लान में कितना मिलेगा क्लेम?
मार्केट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी के मामले में अगर पॉलिसीधारक 1 साल के भीतर सुसाइड करता है तो नॉमिनी को पॉलिसी की कुल वैल्यू दे दी जाएगी. पारंपरिक लाइफ इंश्योरेंस प्लान यानी एंडोमेंट पॉलिसी के मामले में अगर पॉलिसीधारक एक साल के भीतर आत्महत्या करता है तो नॉमिनी को चुकाए गए प्रीमियम का 80 फीसदी मिल जाएगा. अगर पॉलिसीधारक ने अपनी पॉलिसी गिरवी रखते हुए लोन लिया है तो उसके आत्महत्या करने पर पॉलिसी की राशि कर्जदाता को मिलेगी.