इतना खर्च होगा गणेश चतुर्थी मनाने में… 400 करोड़ रुपये का बीमा, 66 किलो सोने के गहने
सबसे अमीर गणेश मंडल के रूप में प्रसिद्ध जीएसबी सेवा मंडल ने इस साल गणेश चतुर्थी के लिए अपने पंडाल का बीमा 400 करोड़ रुपये में करवाया है. इस बार भगवान गणेश की मूर्ति को 66 किलो सोने के आभूषणों और 325 किलो से अधिक चांदी से सजाया गया है.
भारत के सबसे अमीर गणेश मंडल के रूप में प्रसिद्ध जीएसबी सेवा मंडल ने इस साल गणेश चतुर्थी के लिए अपने पंडाल का बीमा 400 करोड़ रुपये में करवाया है. गणेश उत्सव का यह 70वां संस्करण है, और इस बार भगवान गणेश की मूर्ति को 66 किलो सोने के आभूषणों और 325 किलो से अधिक चांदी से सजाया गया है.
मंडल के अध्यक्ष और प्रवक्ता अमित पई ने कहा, “महागणपति को भक्त ‘नवसाला पवनारा विश्वा राजा’ के नाम से पुकारते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर चमत्कार और आशीर्वाद के साथ देते हैं. यह पांच दिवसीय उत्सव होगा. इस साल कुल 400.58 करोड़ रुपये का बीमा किया गया है, जबकि पिछले साल यह करीब 300.60 करोड़ रुपये था.”
इतने का कराया बीमा
शहर के सबसे धनी गणेश मंडल के रूप में मशहूर किंग्स सर्कल स्थित जीएसबी सेवा मंडल ने 7 से 11 सितंबर तक चलने वाले अपने पांच दिवसीय उत्सव के लिए 400.58 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड तोड़ बीमा कवरेज कराया है. जीएसबी सेवा मंडल के अध्यक्ष अमित दिनेश पई ने एएनआई को बताया, “हर साल की तरह इस बार भी हम गणेश चतुर्थी मनाएंगे.”
पांच दिवसीय उत्सव
दक्षिण भारतीय शैली की शादु माटी (मिट्टी) और घास से बनी मूर्ति जीएसबी सेवा मंडल में होने वाले उत्सव का मुख्य आकर्षण है. अमित पई ने बताया कि मंडल चौबीसों घंटे पूजा, अन्नदान (दानी भोजन) और सेवा करता है. पांच दिवसीय उत्सव के दौरान औसतन 60,000 पूजाएं की जाती हैं. लगभग 20,000 लोग प्रतिदिन और पूरे समय में 100,000 लोग अन्नदान में हिस्सा लेते हैं, जिसमें केले के पत्तों पर परोसा जाने वाला प्रसाद भोजन शामिल होता है.
बाल गंगाधर तिलक द्वारा हुई शुरूआत
यह त्योहार 1893 में भारतीय राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक द्वारा शुरूआत किया गया था, जिन्होंने राजनीतिक सभाओं पर ब्रिटिश द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के दौरान लोगों को एकजुट करने के साधन के रूप में इसे फिर से शुरू किया. आज, गणेश चतुर्थी दुनिया भर में हिंदू समुदायों द्वारा मनाई जाती है, महाराष्ट्र और पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में विशेष रूप से प्रमुखता से मनाई जाती है.