हेल्थ इंश्यारेंस से हट सकती है 18 फीसदी GST, काउंसिल की ये है बड़ी प्लानिंग
वस्तु एवं सेवा कर (GST) काउंसिल की ओर से 9 सितंबर, 2024 को आयोजित किए जाने वाले बैठक में फिटमेंट पैनल की ओर से की गई सिफारिशों में सुझाए गए चार विकल्पों पर चर्चा हो सकती है. इसमें बीमा को किफायती बनाने पर जोर होगा.
केंद्र सरकार की ओर से हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर लगाए गए 18 फीसदी जीएसटी को हटाए जाने की मांग काफी समय से चल रही है. आखिरकार लोगों को इस पर लगने वाले अतिरिक्त टैक्स से राहत मिल सकती है. दरअसल वस्तु एवं सेवा कर (GST) काउंसिल की ओर से 9 सितंबर, 2024 को आयोजित किए जाने वाले बैठक में अहम फैसला किया जा सकता है. इस दौरान फिटमेंट पैनल की ओर से की गई सिफारिशों में सुझाए गए चार विकल्पों पर चर्चा हो सकती है. जिनमें इंश्योरेंस प्रोडक्ट पर लगने वाले टैक्स को हटाए जाने और इसे ज्यादा किफायती बनाया जाना आदि शामिल है.
जीएसटी काउंसिल की ओर से लिया जाने वाला निर्णय परिषद के फिटमेंट पैनल की ओर से रखे गए विस्तृत विश्लेषण पर आधारित होगा. रिपोर्ट में स्वास्थ्य बीमा उत्पादों पर टैक्स को घटाए जाने और उन्हें आसान बनाए जाने की अपील की गई. रिपोर्ट में चार विकल्पों पर चर्चा हो सकती है जैसे- सभी स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और पुनर्बीमा के लिए पूर्ण छूट या स्वास्थ्य बीमा सेवाओं पर जीएसटी दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करना शामिल है. इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों के भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम और 5 लाख रुपए तक के कवरेज वाले प्रीमियम को टैक्स छूट देना चाहिए या वैकल्पिक रूप से सिर्फ सीनियर सिटीजंस के भुगतान को जीएसटी के दायरे से बाहर रखें.
इन सुझावों पर भी होगी चर्चा
पैनल ने जीवन बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने की भी सिफारिश की. पैनल की सिफारिशें डीएफएस के आंकड़ों पर आधारित थीं, जिसमें दिखाया गया था कि वित्त वर्ष 2023 के दौरान भारत में कुल स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम 90,032 करोड़ रुपए का था, जिसमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा का हिस्सा 35,300 करोड़ रुपए या कुल का 39 प्रतिशत था, जबकि मौजूदा 18 प्रतिशत जीएसटी दर पर सरकार ने व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर महज 6,354 करोड़ रुपए जुटाएं.
क्या होगा फायदा?
पैनल का तर्क है कि स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी कम करने से ज्यादा लोगों को बीमा खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा. साथ ही हाई कवरेज का विकल्प चुनकर भारत में बीमा की कम पहुंच को दूर करने में मदद मिलेगी. इससे बीमित व्यक्तियों की संख्या बढ़ाने से में भी मदद मिलेगी.