महंगे हेल्‍थ इंश्‍योरेंस ने तोड़ी पॉलिसी होल्‍डर्स की कमर, 10 में से एक ने नहीं रिन्‍यू कराया प्‍लान

हेल्‍थ इंश्‍योरेंस का प्रीमियम लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते पॉलिसी को रिन्‍यू कराना लोगों के लिए मुश्किल होता जा रहा है. यही कारण है कि कई पॉलिसी होल्‍डर्स ने बीमा बंद कर दिया है. तो आखिर क्‍यों महंगे हो गए हेल्‍थ इंश्‍योरेंस प्रीमियम, कितना पड़ा लोगों पर असर जानें पूरी डिटेल.

health insurance premium Image Credit: freepik

हेल्थ इंश्योरेंस, सेहत की सुरक्षा का एक मजबूत कवच माना जाता है. कोरोना काल के बाद से इसकी अहमियत और बढ़ गई, लेकिन अब यही इंश्‍योरेंस प्‍लान लोगों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है. इस साल हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में हुई भारी बढ़ोतरी ने लोगों की जेब ढीली कर दी है. नतीजतन 10 में से 1 शख्स ने अपना बीमा रिन्यू ही नहीं कराया, और जो रिन्यू कर भी रहे हैं, उनमें से कई को कम कवर वाले प्लान्स या सस्ते ऑप्शन्स की ओर रुख करना पड़ रहा है. तो आखिर प्रीमियम इतना क्यों महंगे हो गए है और इसका असर लोगों पर क्या पड़ रहा है आइए जानते हैं.

10 साल में कितना बढ़ा प्रीमियम?

पिछले 10 सालों में प्रीमियम की बढ़ोतरी का ट्रेंड भी चौंकाने वाला है. 52% पॉलिसीहोल्डर्स के प्रीमियम में सालाना 5-10% की बढ़ोतरी हुई, जिससे 100 रुपये का प्रीमियम 10 साल बाद 162-259 रुपये हो गया. वहीं 38% लोगों का प्रीमियम 10-15% सालाना बढ़ने पर 100 रुपये 259-404 रुपये हो गया. जबकि 3% लोगों का प्रीमियम सालाना 15-30% तक बढ़ गया है, जिससे उनकी जेब पर बोझ बढ़ गया है.

30% तक महंगे हो गए प्रीमियम

हाल के आंकड़ों के मुताबिक 10 फीसदी लोगों का हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम 30% या उससे ज्यादा बढ़ गया है. प्रीमियम बढ़ने की वजह से पॉलिसी होल्‍डर्स का इसे रिन्‍यू कराना मुश्किल हो गया है. यही वजह है कि इस साल करीब 10% लोग अपने हेल्थ इंश्योरेंस को रिन्यू ही नहीं करा रहे हैं. कई लोग सस्ते प्लान्स की ओर शिफ्ट हो रहे हैं या फिर कम कवरेज वाले विकल्प चुन रहे हैं. इनमें से सिर्फ आधे लोगों ने ही पूरा प्रीमियम भरा है. बाकी ने तो बीमा छोड़ दिया है.

प्रीमियम बढ़ने की क्‍या है वजह?

एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक बीमा कंपनियों का कहना है कि क्लेम रेश्यो का बिगड़ना प्रीमियम के महंगे होने की सबसे बड़ी वजह में से एक है. कंपनियों का कहना है कि जितना प्रीमियम वे इकट्ठा कर रही हैं, उससे कहीं ज्यादा क्लेम्स आ रहे हैं. जब क्लेम्स की रकम प्रीमियम से ज्यादा हो जाती है, तो कंपनियों को अपने खर्चे पूरे करने के लिए प्रीमियम बढ़ाना जरूरी हो जाता है.

कैटेगरीविवरण कितना बढ़ा प्रीमियम
52% पॉलिसीहोल्डर्सपिछले 10 सालों में प्रीमियम में सालाना 5-10% की बढ़ोतरी (CAGR)100 रुपये का प्रीमियम 10 साल में 162-259 रुपये हो गया
38% पॉलिसीहोल्डर्सपिछले 10 सालों में प्रीमियम में सालाना 10-15% की बढ़ोतरी100 रुपये का प्रीमियम 10 साल में 259-404 रुपये हो गया
मेडिकल महंगाईपॉलिसीबाजार के अनुसार औसतन इलाज का खर्च 14% है, लेकिन प्रीमियम में बढ़ोतरी इससे कम है
क्लेम रेश्योजमा प्रीमियम के मुकाबले ज्यादा क्लेम्स होने से प्रीमियम बढ़ाना पड़ता है
आईआरडीएआई के आंकड़े (26-35 आयु वर्ग)इस आयु वर्ग में क्लेम्स प्रमुख कारण हैं, और 25% से ज्यादा खर्चे कैटारैक्ट सर्जरी जैसे ऑपरेशन्स पर होते हैं
बुजुर्ग और अन्य बीमारियाें वाले लोगऑपरेशन के खर्चे कुल प्रीमियम का बड़ा हिस्सा बनते हैं

यह भी पढ़ें: सोलर एनर्जी की ये दिग्‍गज कंपनी ला रही 1,000 करोड़ का IPO, दांव लगाने से पहले जान लें कंपनी का बैकग्राउंड

इलाज का खर्च बढ़ना भी है महंगे प्रीमियम का कारण

प्रीमियम में बढ़ोतरी की एक और बड़ी वजह है इलाज का खर्च बढ़ना है. मेडिकल सेक्‍टर में महंगाई हर साल बढ़ रही है. बीमा कंपनियां हर 3 साल में अपने रेट्स मेडिकल महंगाई (जो करीब 14% है) के हिसाब से एडजस्ट करती हैं. इलाज का खर्च बढ़ने की वजह से इसे कवर करने के लिए कंपनियां प्रीमियम महंगा कर रही हैं. इसके अलावा, उम्र बढ़ने के साथ प्रीमियम में और इजाफा होता है. बुजुर्गों के लिए इलाज का खर्च ज्यादा होता है, इसलिए उनके प्रीमियम में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है.