गंभीर बीमारी के इलाज में बीमा कंपनी कर रही है आनाकानी? जानिए क्या हैं आपके अधिकार

अगर बीमा कंपनी एक साल के भीतर हेल्श इंश्योरेंस के तहत इलाज के खर्च को वापस करने से मना कर दे, या फिर कैशलेस ट्रीमटेंट के लिए मना कर दे तो आप क्या कर सकते हैं. आइए जानते हैं ऐसे में आपके अधिकार क्या हैं.

बीमाकर्ता मना कर दे कैशलेस ट्रीटमेंस से तो क्या करें Image Credit: GettyImages

बीमा कराने से पहले हर कोई ये सोचता है कि उसे जब कभी जरूरत पड़ेगी तो वह इसकी मदद से अपनी जरूरत पूरी करेगा. बीमा कई प्रकार के होते हैं. हम आज आपको स्वास्थ्य बीमा के तहत अगर कोई बीमा कंपनी गंभीर बीमारी के इलाज में आनाकानी करे या कैशलेस इलाज कराने से इनकार कर दे तो आप क्या कर सकते हैं. इसके बारे में बताएंगे. आइए जानते हैं आपके अधिकार क्या हैं.

अक्सर ऐसा होता है कि यदि आपने बीमा कराया और साल के अंदर ही आपको कुछ बीमारी हो गई या पहले से कोई बीमारी थी और उसका इलाज कराना है. ऐसे में आप बीमा कंपनी से पैसे लेने का क्लेम कर रहे हैं और वह लायबिलिटी देने से पहले जांच करने की बात करती है. अगर जांच की बात नहीं करती तो फिर कैशलेस ट्रीटमेंट कराने से इनकार कर देती है. इसके पीछे का कारण यह है कि बीमा कराते समय अगर कोई बीमारी है तो उसके इलाज के लिए एक अवधि तय की गई होती है. उसके पहले उस बीमारी का इलाज बीमा कंपनी नहीं कराती है.

इसी वजह से जब आप बीमा कराने को बाद एक साल के अंदर कोई क्लेम करते हैं. तो बीमा कंपनियां उस क्लेम की जांच करती हैं. उसके बाद ही लायबिलिटी देती हैं. अब रही बात कि कैशलेस इलाज के मना क्यों कर देती हैं तो इसका जवाब यह कि आप कैशलेस इलाज कराएंगे तो कंपनियों के पास ज्यादा समय नहीं होता है. उन्हें कैशलेस ट्रांसफर की जांच करने में समय भी लगता है. हालांकि, ऐसी किसी स्थिति में जब कंपनी आनाकानी करे तो आप के पास अधिकार है आप उस बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं. बस इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा.

खर्च का ब्यौरा संभाल कर रखें

अगर आपने 10 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस कराया है और किसी जानलेवा बीमारी में खर्च किसे पैसे को वापस पाने के लिए बीमा कंपनी के पास क्लेम कर रहे हो और बीमा कंपनी पैसे देने से मना कर रही है, तो आप आगे इसके खिलाफ आवाज उठा सकते हैं. इसके लिए आपको अपने सारे दस्तावेज दुरुस्त रखने होंगे. आपने जहां-जहां पैसे खर्च किए हैं उन सबकी स्लिप आपके पास होनी चाहिए. इससे आपका पक्ष मजबूत होगा. लेकिन, अगर जांच में यह पाया गया कि बीमारी बीमा कराने से पहले हुई थी और बीमा के तहत पैसे मिलने में अभी समय है तो. बीमा कंपनी आपके क्लेम के रद्द करने की मांग भी कर सकती है.

कोई दूसरा उपाय

अगर आपने कहीं बीमा कराया है और उस कंपनी से क्लेम नहीं मिल रहा है, आप सोच रहे हैं कहीं और बीमा करा लूं. तो वह एक बेहतर कदम नहीं होगा. क्योंकि जब बीमारी के साथ आप बीमा कराते हैं. तो उसके इलाज में खर्च हुए पैसे कब मिलेंगे इसके लिए बीमा को एक अवधि पूरी करनी होती है. ऐसे में आपको समय लगेगा. इस स्थिति में मौजूदा बीमा जारी रखना समझदारी होगी. उससे सही से क्लेम करने पर आपको पैसे मिल जाएंगे.