सावधान! जानें क्या होता है डिजिटल अरेस्ट जिसने वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन से ठगे 7 करोड़ रुपये

वीडियो कॉल पर फर्जी सीबीआई अफसर, फर्जी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, फर्जी मनी लॉन्ड्रिंग केस और 7 करोड़ रुपये की ठगी, कैसे दिए साइबर फ्रॉड को ठगों ने अंजाम?

सावधान! जानें क्या होता है डिजिटल अरेस्ट जिसने वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन से ठगे 7 करोड़ रुपये Image Credit: boonchai wedmakawand/Moment/Getty Images

भारत में ठगी के नए-नए तरीके आ गए हैं. अब फ्रॉड करने वाला डिजिटल अरेस्ट कर ठगी कर रहे हैं. वर्धमान ग्रुप के चेयरपर्सन और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित एसपी ओसवाल इसी तरह की साइबर धोखाधड़ी योजना के शिकार हो गए, जिसकी कीमत उन्हें ₹7 करोड़ चुकानी पड़ी.

लुधियाना पुलिस ने बताया कि घटना के बाद असम और बंगाल से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है और उनके पास से 5.2 करोड़ रुपये बरामद किए गए हैं. यह मामला भारत के साइबर अपराध इतिहास में सबसे बड़ी बरामदगी में से एक है.

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

पुलिस ने बताया कि, फ्रॉड करने वालों ने ओसवाल को वीडियो कॉल किया, इसमें एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी में बैठा था पीछो सीबीआई का लोगो लगा हुआ था. उसने ओसवाल से कहा कि ‘एक फाइनेंशियल फ्रॉड और फेक पासपोर्ट केस में आपके आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल हुआ है और मनी लॉन्ड्रिंग का केस बनेगा.’

फ्रॉड करने वालों ने ओसवाल को यकीन दिलाने के लिए फर्जी अरेस्ट वॉरेंट भी वॉट्सएप पर भेजा और कहा ‘फिलहाल आपको डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है’. यानी जैसे पुलिस कस्टडी में बैठा कर रखा जाता है वैसे ही उन्होंने वीडियो कॉल पर उन्हें ठहरने को कहा और इसे डिजिटिल अरेस्ट बताया.

ध्यान देने वाली बात यह है कि भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं होता, कोई भी आपको वीडियो कॉल अरेस्ट करने का आदेश नहीं दे सकता.

इसके बाद फ्रॉड करने वालों ने ओसवाल को पैसों की जांच के लिए 7 करोड़ ट्रांसफर करने को कहा. यही नहीं स्काइप (वीडियो कॉल प्लेटफॉर्म) पर फर्जी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई भी की. इस सुनवाई में ओसवाल को अपने सारे पैसे ट्रांसफर करने का फर्जी आदेश दिया गया.

डिजिटल अरेस्ट के बारे में और जानिए…

डिजिटल अरेस्ट साइबर क्राइम का एक नया तरीका है. अरेस्ट करने का मतलब होता है कि पुलिस आपको ले जाती है और जेल में डाल देती है लेकिन डिजिटल अरेस्ट में फ्रॉड करने वाले आपको वीडियो कॉल के जरिए पुलिस अधिकारी, सीबीआई अफसर या कोई अन्य सरकारी अधिकारी बनकर डराते-धमकाते हैं. वे आपको बोलते हैं कि आपका नाम किसी गंभीर अपराध से जुड़ा है, जैसे मानव तस्करी या मनी लॉन्ड्रिंग.

फिर आपको बताया जाता है कि आप डिजिटली अरेस्ट हो चुके हैं, साइबर क्रिमिनल कहते हैं कि अगर आप वीडियो कॉल कट करते हैं तो आपको पुलिस वास्तव में आकर पकड़कर जेल में डाल देगी. ये सब इतनी तेजी से होता है कि पीड़त समझ नहीं पाता और घबरा जाता है. इससे वह साइबर फ्रॉड के चंगुल में फंस जाता है. वीडियो कॉल करने वाले पुलिस स्टेशन का पूरा सेट-अप तैयार करते हैं, वे पुलिस की वर्दी में दिखते हैं, इसीलिए कई बार आम लोग धोखा खा जाते हैं.

आपको डिजिटल अरेस्ट का बता कर धमकी देते कि आप कॉल कट नहीं कर सकते, इससे वे आपके ऊपर निगरानी रखते हैं. कुछ देर बाद ही क्रिमिनल आपको मामला रफा दफा करने के लिए पैसों की मांग करते हैं. कई लोग इस झांसे का शिकार बन जाते हैं.

फर्जीवाड़े से बचने के उपाय

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचे और कहां करें इसकी शिकायत?

  • अपने पासवार्ड को बार-बार बदलते रहें
  • फोन, लैपटॉप या किसी अन्य डिवाइस के सॉफ्टवेयर को अप-टू-डेट रखें
  • जागरूकता बढ़ाएं, एंटीवारयस रखें
  • किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक ना करें
  • ध्यान रहे गिरफ्तारी फिजिकल ही होती है, डिजिटल नहीं
  • पुलिस या कोई भी सरकारी अधिकारी, फोन या वीडियो कॉल पर कोई जानकारी नहीं देते, आधिकारिक दस्तावेज की हार्ड कॉपी आपके साथ साझा की जाती है.
  • अगर कोई इस तरह का फोन कर रहा है तो उसे कहे कि आप बुलाए गए पुलिस थाने पर जा सकते हैं.
  • अगर आप हादसे का शिकार हो गए हैं तो क्या करें?
  • पुलिस थाना या साइबर सेल में शिकायत दर्ज करवाएं
  • संचार साथी वेबसाइट पर सरकार का चक्षु नाम का पोर्टल है, उस पर शिकायत कर सकते हैं
  • साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर – 1930 पर कॉल कर शिकायत कर सकते हैं
  • साइबर क्राइम की वेबसाइट – www.cybercrime.gov.in पर भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं