गलत जानकारी देकर कंपनी ने बेचा इंश्योरेंस, तो हर्जाने के साथ कस्टमर को मिलेगा पूरा रिफंड, ऐसे करें अप्लाई
नेशनल कंज़्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर बीमा पॉलिसी ग्राहक को गलत जानकारी देकर बेची गई है, तो वह फ्री-लुक पीरियड के बाद भी पूरा रिफंड पाने का हकदार है. इस फैसले से उन लाखों लोगों को राहत मिल सकती है जो बीमा मिस-सेलिंग का शिकार हुए हैं.

Insurance Mis-selling: इंश्योरेंस कंपनी के लिए कस्टमर को गलत जानकारी देकर पॉलिसी बेचना भारी पड़ सकता है. नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने अपने एक हालिया फैसले में कहा है कि ऐसे मामलों में कस्टमर को फ्री-लुक पीरियड के बाद भी पूरा रिफंड मिल सकता है. यदि बीमा कंपनी लोकपाल के आदेश को 30 दिन में नहीं मानती है, तो उसे 5000 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना देना होगा.
क्या था मामला?
2009 में ग्यान प्रकाश सिंह नामक एक व्यक्ति को टाटा AIA लाइफ इंश्योरेंस के एजेंट ने यह कहकर पांच पॉलिसियां बेच दीं कि सिर्फ एक बार प्रीमियम भरने पर 1.5 साल में 1.5 गुना रिटर्न मिलेगा. जबकि असल में प्रीमियम हर साल 10 वर्षों तक भरना था. जब सिंह को सच्चाई पता चली, तो उन्होंने कंपनी से रिफंड की मांग की. तीन साल बाद भी जब कंपनी ने पूरी रकम वापस नहीं की, तो उन्होंने इसकी शिकायत NCDRC में किया.
NCDRC ने क्या फैसला दिया
इस मामले में सुनवाई करते हुए NCDRC ने टाटा AIA को ग्यान प्रकाश सिंह को 2,47,700 रुपये की पूरी प्रीमियम राशि 9 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया. इसके साथ 10,000 रुपये मानसिक प्रताड़ना और 5,000 केस पर खर्च का पैसा देने को कहा. कमीशन ने इसे “अनुचित व्यापार प्रथा” और “छल-कपट” बताया.
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ऐसे करें शिकायत
अगर आप भी ऐसे ही किसी गलती जानकारी को शिकार हो गए है तो बीमा कंपनी के Grievance Redressal Officer को शिकायत भेजें, उसके बाद 15 दिन में जवाब न मिले तो IRDAI के ‘बीमा भरोसा’ पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें. अगर फिर भी सुनवाई नहीं हो रही है तो 50 लाख रुपये तक के मामलों में बीमा लोकपाल (Insurance Ombudsman) के पास जाएं.
शिकायत के लिए जरूरी डाक्यूमेंट
ग्राहक के पास मिस-सेलिंग साबित करने के लिए दस्तावेज होना जरूरी है, जैसे
- एजेंट के साथ बातचीत के रिकॉर्ड
- प्रीमियम की रसीदें
- पॉलिसी दस्तावेज
- व्हाट्सएप चैट या ईमेल
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