IRDAI का बड़ा फैसला, इक्विट जोखिम से निपटने को डेरिवेटिव्ज में निवेश कर पाएंगी बीमा कंपनियां

इश्योरेंस रेग्युलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने बीमा कंपनियों के निवेश पर बड़ा फैसला किया है. अब बीमा कंपनियां शेयर बाजार (Equity) में किए गए अपने निवेश के जोखिम को कम करने के लिए डेरिवेटिव्ज में भी निवेश कर पाएंगी.

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण Image Credit: IRDAI

Insurance कंपनियों के लिए Share Market में Equity Investment ग्राहकों को अच्छे रिटर्न देने के लिए सबसे अच्छा जरिया है. हालांकि, शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव की वजह से कई बार ग्राहकों को इक्विटी लिंक्ड प्लान्स में अपेक्षित फायदा नहीं मिलता और कई बार नुकसान भी उठाना पड़ता है. भारत में बीमा क्षेत्र के नियामक इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने इस समस्या को ध्यान में रखकर बीमा कंपनियों को डेरिवेटिव्ज में निवेश की मंजूरी दे दी है.

शुक्रवार 28 फरवरी को IRDAI ने इंश्योरेंस कंपनियों के लिए हेजिंग थ्रू इक्विटी डेरिवेटिव्ज गाइडलाइन जारी की हैं. IRDAI ने इस संबंध में एक स्टेटमेंट भी जारी किया है. इसमें कहा गया है कि इस कदम का मकसद बीमा कंपनियों को इक्विटी बाजार में उतार-चढ़ाव के खिलाफ अपने मौजूदा इक्विटी जोखिम को सुरक्षित रखने में मदद करना और इक्विटी निवेश के बाजार मूल्य का संरक्षण करना है, जिससे इक्विटी पोर्टफोलियो में जोखिम कम हो सके.

क्या हैं मौजूदा नियम?

IRDAI के मौजूदा विनियामकीय ढांचे के तहत बीमा कंपनियों को फॉरवर्ड रेट एग्रीमेंट्स (एफआरए), इंटरेस्ट रेट स्वैप और एक्सचेंज ट्रेडेड इंट्रेस्ट रेट फ्यूचर्स (आईआरएफ) के तौर पर रुपये में इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स में सौदा करने की अनुमति है. इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्ज जैसे फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स के अलावा बीमा कंपनियों को क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (सीडीएस) सौदा करने की अनुमति भी दी गई है.

इक्विटी में बढ़ रहा निवेश

IRDAI का कहना है कि बीमा कंपनियों की तरफ से इक्विटी बाजार में निवेश की प्रवृत्ति बढ़ रही है. इस लिहाज से इक्विटी कीमतों में अस्थिरता के कारण, इक्विटी डेरिवेटिव्स के जरिये हेजिंग की मंजूरी देना जरूरी हो गया है. इन दिशानिर्देशों का मकसद बीमा कंपनियों को जोखिम प्रबंधन और पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के लिए बेहतर अवसर देना है.

फ्यूचर और ऑप्शन में निवेश को मंजूरी

IRDAI के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक बीमा कंपनियां जोखिम और पोजिशन लिमिट के तहत इक्विटी में अपनी होल्डिंग के खिलाफ इंडेक्स फ्यूचर्स तथा ऑप्शंस में हेजिंग कर पाएंगी. हालांकि, इक्विटी डेरिवेटिव्ज में निवेश सिर्फ स्टॉक होल्डिंग की हेजिंग के लिए ही किया जा सकता है. यानी सीधे तौर पर इक्विटी डेरिवेटिव्ज में निवेश अब भी प्रतिबंधित रहेगा.