इंश्योरेंस लेते समय छुपाई शराब पीने की बात, तो नहीं मिलेगा क्लेम; सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि यदि बीमाधारक स्वास्थ्य बीमा खरीदते समय अपने शराब सेवन की जानकारी छुपाता है, तो बीमा कंपनी को उसका दावा खारिज करने का अधिकार होगा. कोर्ट ने कहा कि बीमा खरीदते समय सही जानकारी देना अनिवार्य है नहीं तो दावा खारिज किया जा सकता है.

कोर्ट ने कहा कि बीमा खरीदते समय सही जानकारी देना अनिवार्य है नहीं तो दावा खारिज किया जा सकता है. Image Credit:

Supreme Court ruling Insurance claim rejection: इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय गलत जानकारी देना पॉलिसीधारक को महंगा पड़ सकता है और अगर मामला हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ा हो तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अगर किसी ने हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय शराब पीने की गलत जानकारी भरी है तो कंपनी को उसका क्लेम खारिज करने का अधिकार है. यह फैसला भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के “जीवन आरोग्य योजना” से जुड़े एक मामले में आया है.

क्या है मामला?

एक पॉलिसीधारक को गंभीर पेट दर्द के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था और करीब एक महीने बाद उसकी कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई. उसकी पत्नी ने LIC से इंश्योरेंस दावा किया, लेकिन कंपनी ने इसे यह कहकर खारिज कर दिया गया कि उसने इंश्योरेंस खरीदते समय शराब पीने की जानकारी छुपाई थी. दरअसल, पॉलिसी फॉर्म में यह सवाल था कि क्या पॉलिसीधारक व्यक्ति शराब, सिगरेट, बीड़ी या तंबाकू का सेवन करता है? जिसका जबाव पॉलिसीधारक ने “नहीं” का जबाब दिया था. हालांकि, मेडिकल रिपोर्ट्स से यह साबित हुआ कि वह क्रॉनिक शराबी था और लंबे समय से शराब पी रहा था.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने LIC के दावे को सही ठहराते हुए कहा कि क्रॉनिक लिवर डिजीज लंबे समय तक शराब पीने से होती है, यह एक दिन में नहीं होती. पॉलिसीधारक ने जानबूझकर यह बात छुपाया, इसलिए LIC को दावा खारिज करने का पूरा अधिकार है. इसके अलावा, “जीवन आरोग्य योजना” की धारा 7(xi) में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि नशीले पदार्थों या शराब के उपयोग से जुड़ी बीमारियों के लिए इंश्योरेंस कवरेज नहीं मिलेगा.

क्या हर मामले में दावा खारिज हो सकता है?

इकोनॉमिक्स टाइम के रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 के सुलभा प्रकाश मोटेगांवकर बनाम LIC में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ पूर्व-मौजूदा इंश्योरेंसरी छुपाने से इंश्योरेंस दावा खारिज नहीं किया जा सकता. हालांकि, अगर इंश्योरेंस कंपनी यह साबित कर दे कि अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु का मुख्य कारण शराब का सेवन ही था, तो दावा खारिज किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, अगर किसी को ब्रेन हेमरेज हुआ और उसने शराब पीने की जानकारी नहीं दी थी, तो इंश्योरेंस कंपनी को पहले यह साबित करना होगा कि ब्रेन हेमरेज का कारण शराब ही थी.

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सही जानकारी देना जरूरी

अगर आप हेल्थ इंश्योरेंसलेते समय कोई गलत या अधूरी जानकारी देते हैं, तो आपका इंश्योरेंस दावा खारिज हो सकता है. खासकर “Non-Medical General Scheme” के तहत जारी पॉलिसियों में, जहां बिना मेडिकल टेस्ट के इंश्योरेंस दिया जाता है, सही जानकारी देना बेहद जरूरी है.