एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस को लगा झटका, IRDAI ने लगाया 1 करोड़ का जुर्माना
रेगुलेटर ने पाया कि बीमाकर्ता के पास अपना कोई बुनियादी ढांचा नहीं था और वह आउटसोर्सिंग पर ज्यादा निर्भर था, जिसका 95 प्रतिशत राजस्व तीसरे पक्ष को हस्तांतरित हो जाता था.
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने वेब एग्रीगेटर्स और आउटसोर्सिंग गतिविधियों से संबंधित कई नियमों का उल्लंघन करने के लिए एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. इंश्योरेंस रेगुलेटर ने जीवन बीमा कंपनियों को कई बीमा दावों को पुनः जांचने की सलाह भी दी है. IRDAI के आदेश के अनुसार, बीमाकर्ता ने वेब एग्रीगेटर्स के साथ स्पष्ट रूप से दी जाने वाली सेवाओं और उनके लिए किए गए भुगतान का जिक्र नहीं किया था. इसके अलावा, उसने अनिवार्य रूप से रेगुलेटर को आउटसोर्सिंग भुगतान की रिपोर्ट नहीं दी थी.
IRDAI की जांच में पाया गया कि बीमाकर्ता ने पॉलिसीबाजार, एमआईसी इंश्योरेंस, कम्पेयर पॉलिसी, ईजीपॉलिसी और विशफिन सहित कई वेब एग्रीगेटर्स के साथ काम किया था, जबकि बीमाकर्ता ने प्रीमियम रिमाइंडर और पॉलिसी सर्विस जैसी बिक्री के बाद की गतिविधियों को आउटसोर्स करने का दावा किया था. रेगुलेटर ने यह भी पाया कि बीमाकर्ता ने 2017-18 और 2018-19 के दौरान एक्सटेंट मार्केटिंग एंड टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को 1.93 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. इन भुगतानों की रिपोर्टिंग जरूरी थी, लेकिन बीमाकर्ता ने ऐसा नहीं किया.
रेगुलेटर ने पाया कि बीमाकर्ता के पास अपना कोई बुनियादी ढांचा नहीं था और वह आउटसोर्सिंग पर ज्यादा निर्भर था, जिसका 95 प्रतिशत राजस्व तीसरे पक्ष को हस्तांतरित हो जाता था. IRDAI ने बीमाकर्ता को एक आउटसोर्सिंग पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया है, जो वर्तमान रेगुलेशनों और दिशानिर्देशों के अनुरूप हो.
डेथ क्लेम के निपटान के लिए बीमा अधिनियम की धारा 45 का पालन करने का आदेश
दूसरा मुद्दा डेथ क्लेम से संबंधित था, जहां IRDAI ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस को बीमा अधिनियम 1938 की धारा 45 के प्रावधानों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है. बीमाकर्ता को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि भविष्य में सभी क्लेम का निपटान कानून के अनुसार किया जाए. बीमाकर्ता के खिलाफ IRDAI की कार्रवाई पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.