2.5 लाख रुपये से ज्यादा प्रीमियम वाले ULIP पर अब लगेगा नया टैक्स, जानें Budget 2025 में क्या बदले नियम

ULIP को लेकर सरकार की यह नई नीति बड़े प्रीमियम वाली पॉलिसी होल्डर्स के लिए टैक्स में बदलाव लेकर आई है. हालांकि, जो लोग लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं उनके लिए यह बदलाव ज्यादा प्रभावी नहीं होगा.

ULIP निवेशकों पर टैक्स का बड़ा झटका! Image Credit: Tang Ming Tung/DigitalVision/Getty Images

ULIP Taxation Change in Budget 2025: वित्त वर्ष 2025 के बजट में यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (ULIP) के टैक्सेशन को लेकर एक बेहद अहम संशोधन किया गया है. अब वे ULIPs, जिनकी वार्षिक प्रीमियम राशि 2.5 लाख रुपये से अधिक है और जो सेक्शन 10(10D) के तहत टैक्स फ्री नहीं हैं, उन्हें इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड की तरह टैक्स देना होगा. यह बदलाव 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा.

सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि जिन ULIPs की मेच्योरिटी राशि या रिडेम्पशन से प्राप्त लाभ सेक्शन 10(10D) के तहत टैक्स फ्री नहीं हैं, उन्हें पूंजीगत संपत्ति (Capital Assets) माना जाएगा. इसका मतलब यह है कि इन योजनाओं से होने वाले प्रॉफिट को पूंजीगत लाभ (Capital Gains) के रूप में टैक्स देना होगा. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर FAQs सेक्शन में इसकी जानकारी दी गई है.

कैसे लगेगा टैक्स?

अगर ULIP से हासिल लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) 1.25 लाख रुपये से ज्यादा है, तो उस पर 12.5 फीसदी टैक्स लगेगा. साथ ही अगर निवेशक ने ULIP को 12 महीने से पहले बेच दिया तो उस पर 20 फीसदी का शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) लगेगा.

क्या कहता है सेक्शन 10(10D)?

IT डिपार्टमेंट के वेबसाइट के मुताबिक, सेक्शन 10(10D) के तहत जीवन बीमा पॉलिसी से प्राप्त राशि, जिसमें बोनस भी शामिल होता है, टैक्स फ्री होती है. लेकिन इनमें कुछ शर्तें लागू होती हैं:

स्पष्टीकरण की जरूरत क्यों पड़ी?

सरकार ने पाया कि वर्तमान नियमों में ULIP पर स्पष्टता की कमी थी. पहले, अगर किसी ULIP की प्रीमियम राशि सम एश्योर्ड के 10 फीसदी से अधिक होती थी, तो इसे टैक्सेबल तो माना जाता था लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि इसे पूंजीगत लाभ (Capital Gains) या अन्य स्रोतों से आय (Income from Other Sources) में कैसे टैक्स किया जाए.

अब सरकार ने साफ कर दिया है कि ऐसी ULIP पॉलिसी को इक्विटी फंड की तरह टैक्स देना होगा.

बड़े निवेशकों पर असर

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जिनका लक्ष्य टैक्स बचाना है, वे अन्य कर-कुशल निवेश (tax efficient investment) विकल्पों जैसे PPF, ELSS या टैक्स-सेविंग FD की ओर रुख कर सकते हैं. ULIP को लंबे समय तक रखने वाले निवेशक इस बदलाव से कम प्रभावित होंगे, लेकिन शॉर्ट टर्म निवेशकों को टैक्स का अतिरिक्त बोझ झेलना पड़ सकता है. फाइनेंशियल प्लानिंग करते समय अब ULIP की तुलना म्यूचुअल फंड और अन्य निवेश साधनों से करके निर्णय लेना होगा.