क्रिटिकल इलनेस कवर क्यों है जरूरी, हेल्थ या लाइफ इंश्योरेंस से कैसे अलग है यह पॉलिसी
अक्सर गंभीर स्वास्थ्य संकट बिना बताए आते हैं और ऐसे वक्त पर हमें घेरते हैं, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर पाते हैं. बिना बताए आने वाले इस तरह के स्वास्थ्य संकट अपने साथ बड़ा भारी वित्तीय बोझ भी लाते हैं. एक्सपर्ट से जानते हैं कि कैसे हम खुद को और परिवार को ऐसे अनचाहे वित्तीय बोझ से बचा सकते हैं.
अनुराधा श्रीराम: आप सोचें किसी आम दिन की तरह आप सुबह जगते हैं. अपने दैनिक कामकाज में जुटे हुए आप आगे की योजना बना रहे होते हैं कि अचानक कुछ ऐसा होता है, जिससे आपकी पूरी दुनिया उलट-पुलट हो जाती है. अक्सर गंभीर स्वास्थ्य संकट बिना बताए आते हैं और ऐसे वक्त पर हमें घेरते हैं, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर पाते हैं. बिना बताए आने वाले इस तरह के स्वास्थ्य संकट अपने साथ बड़ा भारी वित्तीय बोझ भी लाते हैं. बीमारी और इलाज का वित्तीय बोझ मिलकर किसी को भी पूरी तरह से तोड़ सकता है. ऐसे ही हालात को ध्यान में रखकर गंभीर बीमारी यानी क्रिटिकल इलनेस बीमा कवर लेना जरूरी हो जाता है. यह हमें जीवन के सबसे चुनौतीपूर्ण समय के दौरान वित्तीय मोर्चे पर ढाल की तरह बचाता है. स्वास्थ्य बीमा के इस अहम, लेकिन अक्सर नजरअंदाज किए जाने वाले पहलू को गहराई से जानते हैं.
अस्पताल में भर्ती होने के बाद वित्तीय बोझ का हल
एक गंभीर बीमारी पॉलिसी जीवन रेखा की तरह है. यह आपको उस वक्त वित्तीय मदद देती है, जब इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है. नियमित स्वास्थ्य बीमा आपके अस्पताल में भर्ती होने की लागत को कवर करता है. दूसरी तरफ गंभीर बीमारी कवर इलाज के दौरान आपको एकमुश्त रकम मुहैया कराता है. इस रकम का इस्तेमाल आप अपनी मर्जी से किसी भी जरूरत के लिए कर सकते हैं. मसलन, उपचार, पुनर्वास या रोजमर्रा के खर्च किसी भी काम के लिए आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
क्यों पड़ती है इसकी जरूरत
गंभीर बीमारियों से पीड़ित होने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक 2022 में भारत में कैंसर के 14 लाख से ज्यादा मामले सामने आए. इसके अलावा इस दौरान 9 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुईं। इसी तरह द लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक 2022 में वैश्विक स्तर पर हृदय रोग मौत के सबसे बड़े कारणों में से एक बना रहा. यह अगले 3 दशक तक मौत के सबसे बड़े कारणों में शामिल रहेगा. इसके अलावा स्ट्रोक और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) की वजह से सबसे ज्यादा लोगों की मौत होने का अनुमान है. 2021 आईसीएमआर-इंडियाबी अध्ययन में बताया गया है कि भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से प्रभावित हैं, जबकि 13.6 करोड़ लोग प्रीडायबिटिक हैं. इसके अलावा 31.5 करोड़ लोग हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं.
क्या-क्या हो सकता है कवर
बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल जरूरतों के लिए बीमा कंपनियां कवरेज का विस्तार कर रही हैं. दिल के दौरे और कैंसर जैसे रोगों के साथ ही बीमा कंपनियां अपनी गंभीर बीमारी नीतियों में स्ट्रोक, अंग प्रत्यारोपण, गंभीर तंत्रिका संबंधी विकार, क्रोनिक किडनी रोग के लिए डायलिसिस की जरूरत, सिर की चोट और जलन जैसी और भी स्थितियों को कवर करने लगी हैं. कई बीमा कंपनियां महिलाओं के लिए विशेष पैकेज भी पेश करती हैं, जो महिलाओं से जुड़े विशिष्ट कैंसर और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों को कवर करते हैं.
सही रास्ते की तलाश में मिलती है मदद
इस तरह की बीमा पॉलिसी आपको वित्तीय आजादी देती है. इससे आप दूसरे डॉक्टरों से राय लेने और इलाज के वैकल्पिक तरीकों को भी तलाश सकते हैं. इसके अलावा ये पॉलिसियां कई राइडर्स और ऐड-ऑन के साथ आती हैं, जिससे विशेष जरूरतों के मुताबिक कवरेज मिलता है. इन पॉलिसियों को अधिक किफायती बनाने के लिए प्रतिस्पर्धी प्रीमियम और लचीले भुगतान विकल्प भी मिलते हैं.
गंभीर बीमारी कवर को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाएं
अपनी गंभीर बीमारी के कवरेज का अधिकतम लाभ लेने के लिए आपको अपनी पॉलिसी के कवरेज और एक्सक्लूशन को समझना जरूरी है. आपके स्वास्थ्य की स्थिति में किसी भी बदलाव के बारे में बीमा कंपनी को नियमित रूप से जानकारी भी देते रहें. इसके अलावा अपने कवर को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाएं, ताकि बीमारी के इलाज के दौरान आपको ज्यादा एकमुश्त पैसा मिले. इस तरह की पॉलिसी लेने वाले ग्राहकों की सेहत को लेकर बीमा कंपनियां भी फिक्रमंद रहती हैं. कंपनी की तरफ से ग्राहकों को स्वास्थ्य जांच और कल्याण कार्यक्रमों जैसे निवारक उपायों का लाभ भी दिया जाता है, जिससे वे संभावित स्वास्थ्य समस्याओं से बचे रहें.
पॉलिसी लेते समय इन बातों का रखें ध्यान
जब कभी गंभीर बीमारी के लिए पॉलिसी खरीदें तो कवर की गई बीमारियों की सीमा, बीमा राशि, प्रतीक्षा अवधि, प्रीमियम, नवीनीकरण की आयु, दावा प्रक्रिया में आसानी और दूसरी चिकित्सा राय और कल्याण कार्यक्रमों जैसे अतिरिक्त लाभों पर विचार करें. इन जानकारियों के साथ अपनी पॉलिसी को कस्टमाइज करके और अपनी जरूरत के मुताबिक लाभों को अधिकतम करके, आप अपनी जेब से होने वाले बड़े चिकित्सा खर्चों से बच सकते हैं.
नोट: लेखिका आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस की मुख्य एक्चूरी अधिकारी हैं. लेख में प्रकाशित विचार उनके निजी हैं. स्वास्थ्य बीमा या कोई भी वित्तीय उत्पाद खरीदने से पहले पंजीकृत वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें.